लॉजिस्टिक्स लागत बढऩे और कंटेनरों की आपूर्ति कम होने से निर्यातकों के कारोबार की प्रतिस्पर्धा घट रही है। ऐसे में निर्यातकों का एक समूह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से संपर्क करने पर विचार कर रहा है, जिससे शिपिंग कं पनियों की संभावित गुटबंदी (कार्टेलाइजेशन) पर विचार किया जा सके। निर्यातक सरकार से यह भी मांग करेंगे कि भारत में शिपिंग लाइंस को नियमन के दायरे में लाया जाए। इसके पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने फेडरल मैरीन कमीशन को निर्देश दिया है कि शिपिंग सेक्टर के 'अन्यायपूर्ण और अतार्किक शुल्क' पर लगाम लगाई जाए। जहाजरानी महानिदेशालय (डीजीएस) के अनुमान से पता चलता है कि देश में 2021 में कंटेनरों की आपूर्ति में 15 प्रतिशत गिरावट आई है। यह कमी शिप कॉल्स, जगह के भंडारण और मालभाड़े में तेज बढ़ोतरी जैसी कई वजहों से आई है। संकट पिछले साल शुरू हुई, जब महामारी के कारण आयात और निर्यात की मात्रा में अंतर की वजह से भारत के बंदरगाहों पर निर्यात के लिए कंटेनरों की समस्या हो गई। कोच्चि मुख्यालय वाले सीफूड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईएआई) के सचिव इलियास सेंट ने कहा, 'यह साफ साफ कार्टलाइजेशन का मामला है। माल ढुलाई की दरों में वृद्धि का कुछ तर्क होना चाहिए, खासकर अमेरिका के मामले में। हमसे कहा गया था कि फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) इस सिलसिले में एक रिपोर्ट तैयार कर रहा है। हम इस रिपोर्ट का परिणाम आने के बाद सीसीआई से संपर्क पर विचार कर रहे हैं।' उद्योग संगठन के मुताबिक अमेरिका का मालभाड़ा 3 गुने से ज्यादा बढ़कर मार्च, 2020 के 3,500 डॉलर प्रति 40 फुट रीफर कंटेनर से बढ़कर अब 15,000 डॉलर पर पहुंच चुका है। एसईएआई के आंकड़ों के मुताबिक भारत का कुल समुद्री उत्पादों का सालाना निर्यात 45,000 करोड़ रुपये है, जिसमें 32 प्रतिशत अमेरिका को भेजा जाता है।
