आयुष्मान भारत- जन आरोग्य योजना में निजी अस्पतालों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार इस योजना के तहत स्वास्थ्य लाभ पैकेज को तार्किक बनाने पर काम कर रही है। अधिकारियों ने आज कहा कि इसके साथ ही भुगतान के मसले का भी समाधान किया जाएगा। निजी अस्पतालों ने स्वास्थ्य मंत्रालय के समक्ष यह चिंता जताई थी कि स्वास्थ्य योजना के तहत उपचार की दर व्यावहारिक नहीं है और यह इस पहल में निजी क्षेत्र के आने की राह में बड़ा व्यवधान है।नैशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) के मुख्य कार्याधिकारी आरएस शर्मा ने कहा, 'हम दरों को बहुत ज्यादा तार्किक नहीं बनाएंगे, जिससे यह अस्पतालों के लिए बहुत लाभदायक बन जाए। हम बड़ी संख्या में मरीज मुहैया करा रहे हैं। यह विशेषज्ञों की सलाह के मुताबिक किया जाएगा।' पिछले 3 साल में आयुष्मान भारत-जय के तहत 2 करोड़ लोगों के अस्पताल में भर्तियों के रिकॉर्ड के बाद आयोजित एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। हेल्थ अथॉरिटी ने सभी अस्पतालों के लिए मानकीकृत दरें और उपचार प्रोटोकॉल तैयार करने की योजना बनाई है, जिससे खजाने से किए जाने वाले कुल व्यय का भी आसानी से निर्धारण किया जा सके। नैशनल हेल्थ अथॉरिटी के डिप्टी सीईओ विपुल अग्रवाल ने कहा कि दावा निपटान व्यवस्था में भी सुधार की कवायद की जा रही है, जिससे निजी अस्पतालों के दावों का भुगतान आसानी से हो सके। यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 सितंबर, 2018 को पेश की थी। अब तक इस योजना से 23,000 अस्पताल जुड़े हैं और इनमें से 40 प्रतिशत निजी क्षेत्र के हैं। नैशनल हेल्थ अथॉरिटी योजना की निगरानी व मूल्यांकन को बढ़ाने के लिए संयुक्त समीक्षा मिशन भी स्थापित करेगी, जिसमें सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी शामिल होंगे। भुगतान के मसले के समाधान और दावों को तेजी से निपटाने के लिए सरकार बेहतर रिकॉर्ड वाले अस्पतालों के लिए ग्रीन चैनल स्थापित करने पर विचार कर रही है। शर्मा ने कहा, 'ऐसे अस्पतालों के 50 प्रतिशत दावों का तत्काल समाधान किया जा सकता है। इससे उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा कि वे उचित बिलिंग सुनिश्चित करें।' जन आयोग्य योजना के तहत प्रति परिवार प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये बीमा कवर मिलता है। सरकार इस योजना में शामिल सरकारी अस्पतालों में लाभार्थी सुविधा एजेंसियां बनाने की भी योजना बना रही है, जिससे इसमें तेजी लाई जा सके।
