देश के औद्योगिक उत्पादन में जून महीने में एक वर्ष पहले की समान अवधि के मुकाबले 13.6 फीसदी की उछाल आई। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसा कम आधार के कारण हुआ है। पिछले दो महीनों के मुकाबले जून में कम आधार के प्रभाव में गिरावट आई है। अप्रैल और मई में वृद्घि क्रमश: 134.6 फीसदी और 28.6 फीसदी रही थी जिससे औद्योगिक गतिविधि की तस्वीर अतिश्योक्तिपूर्ण नजर आती है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में फैक्टरी उत्पादन मार्च महीने से तेजी से बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। ऐसा कम आधार की वजह से हो रहा है क्योंकि पिछले वर्ष देशव्यापी लॉकडाउन लगाए जाने के कारण औद्योगिक गतिविधि ठप पड़ गई थी।जून 2020 में आईआईपी में 16.6 फीसदी का संचुकन आया था। क्रमवार आधार पर मई से आईआईपी में 5.7 फीसदी की वृद्घि हुई जो अर्थव्यवस्था के खुलने के बाद स्वाभाविक स्थिति को दर्शाता है। गौरतलब है कि अप्रैल से मई के दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर में देश के अलग अलग हिस्सों में लॉकडाउन लगाया गया था जिसमें धीरे धीरे ढील दिए जाने की प्रक्रिया जारी है। हालांकि यह अब भी अप्रैल के स्तर से नीचे है जिससे पता चलता है कि रिकवरी की रफ्तार सुस्त होने का संकेत मिलता है। केयर रेटिंग्स ने कहा, 'कोविड-19 संक्रमण के दैनिक मामलों में कमी और आर्थिक गतिविधियां तेज होने से जून 2021 में औद्योगिक गतिविधियों में सुधार देखा गया। जुलाई 2021 में सुधार जारी रहा और जून में कमजोर रहने के बाद जुलाई में पीएमआई विनिर्माण में तेजी दर्ज की गई है।'अप्रैल-जून के बीच संचय वृद्धि 45 प्रतिशत रही जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इसमें 35.6 प्रतिशत गिरावट आई थी। हालांकि कोविड महामारी आने से पहले अप्रैल-जून 2012-20 अवधि की तुलना में यह करीब 7 प्रतिशत कम रही। औद्योगिक सूचकांक में 77 प्रतिशत भारांश रखने वाला विनिर्माण क्षेत्र जून में सालाना आधार पर 13 प्रतिशत दर से बढ़ा। पिछले वर्ष इसमें 17 प्रतिशत सुस्ती दिखी थी। क्रमागत आधार पर इसमें 7.4 प्रतिशत तेजी आई। आईसीआरए में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'जून 2021 में क्रमागत आधार पर विनिर्माण में तेजी जीएसटी ई-वेल बिल में शानदार तेजी की तुलना में कमतर रही। इसी तरह, अप्रैल 2021 और मई 2021 में विनिर्माण सूचकांक में मासिक आधार पर गिरावट ई-वेल बिल में आई गिरावट के मुकाबले कम रही है।'नायर ने कहा कि इससे साबित होता है कि दूसरी लहर से विनिर्माण गतिविधियों पर देश में वस्तुओं की आवाजाही के मुकबाले कम असर हुआ है। उन्होंने कहा कि यह संकेत देता है कि जीएसटी ई-वेल बिल में इजाफा आईआईपी का प्रदर्शन मापने का सैदव एक अच्छा माध्यम नहीं हो सकता है।
