बिना अनुमति चल रही प्लास्टिक इकाइयों पर होगी सख्ती | रामवीर सिंह गुर्जर / नई दिल्ली August 11, 2021 | | | | |
दिल्ली सरकार बिना पर्यावरण अनुमति के चल रही प्लास्टिक इकाइयों पर सख्ती करने जा रही है। सख्ती करने से पहले सरकार ने इन इकाइयों को अनुमति लेने का एक और मौका दिया है। इस मौके का फायदा न उठाने वाली प्लास्टिक इकाइयों को बंद किया जाएगा और इनसे पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि भी वसूली जाएगी।
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में प्लास्टिक की थैलियों, पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक थैलियों, बहुस्तरीय पैकेजिंग और प्लास्टिक अपशिष्ट के प्रसंस्करण के सभी उत्पादकों, आयातकों, पुनर्चक्रणकर्ताओं और निर्माताओं के लिए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम (संशोधन), 2018 के अधीन पंजीकरण के लिए जल (प्रदूषण की रोकथाम व नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण की रोकथाम व नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत डीपीपीसी से इकाई चलाने की अनुमति लेना जरूरी है।
दिल्ली में देखा जा रहा है कि बहुत सी प्लास्टिक इकाइयां बिना अनुमति के चल रही हैं। बीते महीनों में इन इकाइयों के खिलाफ चलाए गए अभियान में बहुत सी इकाइयां बिना अनुमति के चलते पाई गईं और इन इकाइयों से पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि वसूली गई थी। डीपीसीसी अब बिना अनुमति चल रही प्लास्टिक इकाइयों के खिलाफ सख्त कदम उठाने जा रही है। लेकिन इस सख्ती से इन इकाइयों को अनुमति लेने का एक और मौका दिया जा रहा है।
इन प्लास्टिक इकाईयों को 31 अगस्त तक डीपीसीसी से परिचालन की अनुमति प्राप्त करने के लिए आवेदन करना होगा। इस दी गई मोहलत तक अनुमति के लिए आवेदन नहीं करने वाली और बिना अनुमति के चलती पाई प्लास्टिक इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जिसमें इन इकाइयों को बंद करना, बिजली—पानी आपूर्ति के कनेक्शन काटने के साथ पर्यावरण क्षतिपूर्ति राशि की वसूली करना शामिल है।
दिल्ली में 2000 से अधिक ऐसी प्लास्टिक इकाइयां है, जो प्लास्टिक कैरी बैग निर्माण, पुनर्चक्रण, पैकेजिंग व प्रसंस्करण से जुडी हैं। दिल्ली में 50 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग, शीट्स, बहुस्तरीय पैकेजिंग से बने कवर के उपयोग, उत्पादन, बिक्री, भंडारण पर पूर्ण पाबंदी पहले से ही है। केंद्रीय राष्टीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में रोजाना 689 टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है।
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