सरकार 12 से15 लाख टन सोया खली के आयात की देगी अनुमति | श्रेया नंदी और संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली August 11, 2021 | | | | |
केंद्र सरकार 12 से 15 लाख टन जीन संवद्र्धित सोया खली के आयात का आदेश देने की तैयारी में है। शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने आज बताया कि सोया खली की बढ़ती कीमतों से मुर्गीपालन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसका आयात करने का निर्णय लिया है। सोया खली का इस्तेमाल मुर्गियों के आहार (भोजन) में होता है।
सोया खली के दाम बढऩे से मवेशी आहार की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। आहार में में मक्का के साथ सोया खली का खास तौर पर इस्तेमाल होता है।
मुर्गीपालन क्षेत्र के प्रतिनधियों ने कहा कि इस वर्ष अप्रैल से जुलाई के दौरान सोया खली की कीमतें 64 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं जिससे उनके कारोबार को चोट पहुंच रही है। सोया खली के आयात पर एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा, 'इस बारे में आधिकरिक आदेश कभी भी आ सकता है।'
अधिकारी ने कहा कि आयातकों को यह बताना अनिवार्य होगा कि सोया खली का इस्तेमाल केवल मवेशी के आहार के लिए होगा। अधिकारी ने कहा कि जीन संवद्र्धित सोया खली का आयात करने का निर्णय पर्यावरण मंत्रालय, वाणिज्य एवं उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध एवं मत्स्य उद्योग मंत्रालय ने संयुक्त रूप से लिया है।
सोया खली की ऊंची कीमतों से देश का 80,000 करोड़ रुपये का मुर्गीपालन उद्योग प्रभावित हो गया है और इस कारोबार से जुड़े लोगों की कमाई पर खासा असर हुआ है। ऐसी खबर है कि इस उद्योग ने इस चुनौतीपूर्ण हालात से निकलने के लिए संबंधित मंत्रालयों से सोयाबीन की नई फसल बाजार में आने से पहले सोया खली का आयात करने की गुहार लगाई थी।
हालांकि कुछ विशेषज्ञों ने कहा कि खरीफ सत्र में सोयाबीन की बुआई के दौरान सोया खली का आयात इसके उत्पादकों का उत्साह ठंडा कर सकता है। यह मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि पिछले छह महीनों से भी अधिक समय से किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि मुर्गीपालन उद्योग के लोगों का कहना है कि सोया खली की आपूर्ति न के बराबर हो रही थी इसलिए इसका आयात करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचा है।
अखिल भारतीय मुर्गी प्रजनक संघ ने कुछ सप्ताह पहले सरकार से मिलकर 12 लाख टन सोया खली की तत्काल आयात करने की अनुमति दिए जाने की मांग की थी। संघ के अनुसार सोया खली की बढ़ती कीमतों से मुर्गी एवं मवेशी पालन पर असर हो रहा है।
राष्टीय अंडा संयोजन समिति के संजीव चिंतवार ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया था, 'मक्के की कीमतें जनवरी-फरवरी 2021 की 1,550-1,600 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में बढ़कर अब 2,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। इसी अवधि के दौरान सोयाखली का दाम 35-36 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर अब 93 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है। इनकी तुलना में अंडे के दाम उसी अनुपात में नहीं बढ़े हैं।'
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