ट्रेडमार्क कानून नहीं आसान | सुरजीत दास गुप्ता / August 09, 2021 | | | | |
भारतीय खेल जगत की मशहूर हस्तियों के लिए 'मूमेंट मार्केटिंग' की आड़ में अपनी तस्वीर या अन्य व्यक्तिगत पहचान के इस्तेमाल होने पर टे्रड मार्क कानून के तहत मामला उठा पाना मुश्किल साबित हो सकता है। इसकी वजह यह है कि इन खिलाडिय़ों ने दुनिया के दूसरे खिलाडिय़ों की तरह अपनी तस्वीरों या खास व्यक्तिगत पहचान का पेटेंट नहीं कराया है। ब्रांड या कंपनियां जब किसी खास क्षण में या अवसर पर मशहूर हस्तियों की तस्वीर या उनकी व्यक्तिगत पहचान का इस्तेमाल अपने विज्ञापनों में करती हैं तो इसे 'मूमेंट मार्केङ्क्षटग' कहा जाता है। यह विवाद तब सामने आया जब बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधु की एजेंसी ने कहा कि वह उन ब्रांडों के खिलाफ मुकदमा दायर करने की सोच रही है जिन्होंने सिंधु की तस्वीर का इस्तेमाल सोशल मीडिया पर उन्हें टोक्यो ओलिंपिक में पदक जीतने पर बधाई देने के लिए अपने लोगो के साथ किया था। एजेंसी जिन ब्रांडों के खिलाफ मामला दर्ज कराना चाहती हैं उनमें अपोलो हॉस्पिटल, आदित्य बिड़ला ग्रुप, हैप्पीडेंट, विक्स सहित अन्य दूसरी कंपनियां हैं।
विज्ञापन उद्योग पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि बेसलाइन वेंचर्स पहले भी इस तरह के एक मामले में कानूनी नोटिस भेज चुकी है। यह मामला क्रिकेट खिलाड़ी पृथ्वी शॉ से जुड़ा था। शॉ ने जब टेस्ट क्रिकेट में अपना पहला शतक लगाया था तो कई ब्रांडों ने उन्हें (शॉ को) बधाई संदेश भेजे थे। कंपनी ने ट्रेडमार्क कानून की धारा 27 के तहत इन ब्रांडों को नोटिस भेजा था। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि ऐसे मामलों में भारतीय दंड संहिता के तहत भी मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है। बेसलाइन वेंचर के प्रबंध निदेशक तुहिन मिश्रा ने इस मामले पर पूछे गए सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
रीडिफ्यूजन के प्रबंध निदेशक संदीप गोयल कहते हैं, 'टे्रडमार्क के उल्लंघन का मामला तभी बनेगा जब किसी खिलाड़ी के टे्रडमार्क या उनकी तस्वीरों का पेटेंट कराया जा चुका है। जाहिर है, सिंधु या शॉ के मामले में पेटेंट उल्लंघन का मामला नहीं बनता है।'
दुनिया में महशूर हस्तियां अपनी छवि का बेजा इस्तेमाल रोकने के लिए पेटेंट का विकल्प चुन रही हैं। उदाहरण के लिए उसैन बोल्ट ने अपने हस्ताक्षर 'लाइटनिंग बोल्ट' सेलीब्रेशन पोज का पंजीयन करा रखा है। न्यू यॉर्क यंकीज स्टार एलेक्स रॉड्रिगेज ने अपने घरेलू नाम ए-रोड और माइकल जॉर्डन ने चीनी भाषा के अक्षरों में अपने नाम का पेटेंट करा रखा है।
सिंधु भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) के तहत भी मामला उठा सकती थीं। (एएससीआई की महासचिव मनीषा कपूर कहती हैं, 'एएससीआई संहिता में ऐसे मामलों के उल्लंघन के खिलाफ प्रावधान हैं। ऐसे मामलों में शिकायत मिलने पर उनकी जांच जरूर की जाएगी।'
कपूर का कहना है कि भ्रामक विज्ञापन उपखंड 1.3 पर चैप्टर 1 में कहा गया है, 'विज्ञापन दाता किसी व्यक्ति, कंपनी या संस्थान से बिना उनकी अुनमति के अपने विज्ञापन में उस व्यक्ति, वस्तु या संस्थान के नाम का बेजा इस्तेमाल व्यावसायिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।' हालांकि विज्ञापन एजेंसियां व्यक्ति, कंपनी या संस्थान से अनुमति लेकर अपने विज्ञापनों में उनके नाम या फोटो आदि का जिक्र कर सकती हैं।
अगर उललंघन का मामला साफ तौर पर दिखता है कि एएससीआई स्वत: संज्ञान लेकर भी कार्रवाई कर सकता है। ऐसा नहीं होने पर वह शिकायत मिलने के बाद कार्रवाई करता है। कपूर का कहना है कि सिंधु को यह निर्णय करने का अधिकार है कि वह कहां मामला ले जाना चाहती हैं। कपूर ने कहा कि यह साफ दिख रहा है कि सिंधु इसमें कानूनी हस्तक्षेप चाहती हैं। ऐसे में एएससीआई की कोई भूमिका नहीं होगी क्योंकि अंतत: देश का कानून ही सर्वोच्च होता है।
कपूर कहती हैं कि एएससीआई ने व्हाइट हैट से जुड़े इसी तरह के मामले में पहल की थी। व्हाइट हैट जूनियर ने अपने विज्ञापन में गूगल सीईओ सुंदर पिचाई और ऐपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स की तस्वीर का इस्तेमाल कर बच्चों से कोडिंग क्लास में भाग लेने की अपील की थी। बाद में व्हाइट हैट ने अपना विज्ञापन वापस ले लिया।
गोयल कहते हैं कि भारतीय खेल हस्तियों को अपने नाम या तस्वीर के बेजा इस्तेमाल से बचने के लिए उनका पंजीयन कराना होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि अगर विज्ञापनदाता इस तरह के खास अवसरों का इस्तेमाल व्यावसायिक लाभ पाने के लिए करते हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया सकता है।
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