केंद्र सरकार ई-कॉमर्स पर उपभोक्ता सुरक्षा नियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है जिसमें संबंधित पक्ष बिक्री मसौदा फिर से तैयार किया जाना और फ्लैस सेल पर स्पष्टता शामिल है। सरकार यह कदम उद्योग और ई-कॉमर्स कंपनियों से परामर्श करने के बाद उठाएगी। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि संशोधित नियमों को शीघ्र अधिसूचित किया जाएगा और नियमों में प्रस्तावित संशोधन के संबंध में संदेहों को दूर किया जाएगा। इन नियमों का मकसद देश में ई-कॉमर्स क्षेत्र में नियामकीय व्यवस्था को और अधिक दुरुस्त करना है।पिछले महीने भारतीय उद्योग परिसंघ, रिटेल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आरएआई), कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट), इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएमएआई), पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री आदि जैसे उद्योग संघों के साथ साथ एमेजॉन और फ्लिपकार्ट सहित ई-कॉमर्स कंपनियों ने मसौदा नीति पर अपनी प्रतिक्रिया भेजी थी। इसे सार्वजनिक परामर्श के लिए 21 जून को जारी किया गया था। उन्होंने जुलाई में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और सरकार की निवेश संवद्र्घन इकाई इन्वेस्ट इंडिया के साथ आभासी बैठकें भी की थीं। इस हफ्ते संसद सत्र के समाप्त होने के बाद अंतिम मसौदा सामने आ सकता है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, 'कुछ नियमों का पुनर्लेखन किया जाएगा। उद्योग के साझेदारों ने भी उपभोक्त मामलों के मंत्रालय के साथ अपनी चिंताएं और विचार साझा किए हैं। अंतिम मसौदे में बारीकियों को स्पष्ट कर दिया जाएगा ताकि नीति के संबंध में और अधिक स्पष्टता आ सके।'अंतिम नियमों में फ्लैश सेल में क्या चीजें शामिल होती हैं जैसे मुद्दों पर स्पष्टïता, बारीक जानकारियों और निवासी शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि के संबंध में स्पष्टïता आने की उम्मीद की जा रही है। सरकार ने जहां कहा है कि इन नियमों का मकसद उपभोक्ताओं के हितों को सुरक्षित करना और ई-कॉमर्स कंपनियों को और अधिक जिम्मेवार और जिम्मेदार बनाना है वहीं उद्योग के एक हिस्से को नियमों को मौजूदा स्वरूप में लागू करने पर अपने कारोबारी ढांचे में बदलाव की चिंता सता रही है। उद्योग की कंपनियों ने चिंताएं जताई हैं और सरकार से उस उपनियम को हटाने का अनुरोध किया है जिसमें कहा गया है कि संबंधित पक्ष मार्केटप्लेस पर किसी तरह का सौदा नहीं कर सकते हैं। उन्होंने ई-कॉमर्स की परिभाषा को लेकर भी अपनी चिंताएं जताई है। प्रस्तावित नियमों में इस संबंध में कहा गया है कि यदि कोई लॉजिस्टिक्स या आपूर्ति में सहयोग करता है तो उन्हें भी ई-कॉमर्स कंपनी समझा जाना चाहिए। उपभोक्त मामलों के मंत्रालय को लिखित में दिए अपने अनुरोध में आरएआई ने सुझाव दिया है कि इन्वेंट्री ई-कामर्स एंटिटी और मॉर्केटप्लेस ई-कॉमर्स एंटिटी की परिभाषा को निश्चित तौर पर संशोधित किया जाना चाहिए ताकि यह स्पष्टï रूप से कहा जा सके कि ई-कॉमर्स के दोनों स्वरूपों के लिए किन चिजों की अनुमति है और किनकी नहीं। पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री ने भी इसी तरह के विचार दिए हैं। आरएआई ने फ्लैश सेलों के संबंध में भी कुछ बदलाव सुझाए हैं।
