चाय कंपनियां दर्ज कर सकती हैं बेहतर प्रतिफल | ईशिता आयान दत्त / कोलकाता August 09, 2021 | | | | |
पिछले साल अधिक दामों के दम पर प्रमुख चाय कंपनियों ने अच्छा प्रदर्शन किया था। हालांकि पिछले डेढ़ महीने के दौरान दामों में गिरावट के मद्देनजर चाय कंपनियों के अच्छे प्रदर्शन को लेकर आशंकाएं पैदा हो गई हैं।
प्रतिकूल मौसम की वजह से फसल को हुए नुकसान के कारण पिछले साल की तुलना में इस साल दाम अधिक बने रहने से चाय के दामों की अच्छी शुरुआत हुई थी। हालांकि जून के मध्य के बाद दामों में गिरावट आने लगी। अलबत्ता उत्तर भारत की चाय (जिसका कुल उत्पादन में 80 प्रतिशत से अधिक योगदान रहता है) के संबंध में दाम अब भी वर्ष 2019 के स्तर से अधिक हैं।
जे थॉमस वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार सेल 30 (जुलाई के अंतिम सप्ताह में आयोजित) तक नीलामी का औसत 234.85 रुपये प्रति किलोग्राम रहा, जबकि कोलकाता में वर्ष 2020-21 में यह 277.77 रुपये प्रति किलोग्राम और वर्ष 2019-20 में 191.76 रुपये प्रति किलोग्राम था। चाय के दामों में तेजी की वजह से कम वॉल्यूम के बावजूद पिछले साल कंपनियों ने अधिक मुनाफा दर्ज किया था। लेकिन जून से देखी जा रही कीमतों में गिरावट का असर मार्जिन पर पड़ सकता है।
इक्रा के उपाध्यक्ष कौशिक दास ने कहा कि उदाहरण के लिए (इसमें उत्तर भारत में बागान वाली कंपनियां भी शामिल हैं) वित्त वर्ष 21 में संगठित चाय कंपनियों का एबिटा मार्जिन 12 प्रतिशत था। दामों में मौजूदा रुख को देखते हुए वित्त वर्ष 22 में एबिटा मार्जिन नौ प्रतिशत रहने की संभावना है।
लेकिन फिर भी कंपनियां पिछले सालों की तुलना में बेहतर रह सकती हैं। दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2020 में कंपनियों के समान उदाहरण में एबिटा मार्जिन 3.8 प्रतिशत था। उद्योग के लिए साल की शुरुआत स्थिर रही। पिछले साल कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी की वजह से उपज में 13 करोड़ से 13.5 करोड़ किलोग्राम का हुआ नुकसान निर्यात और घरों से बाहर की खपत के नुकसान से पूरा हो गया था। हालांकि घरों में होने वाली खपत बढ़ गई थी।
मैकलॉयड रसेल इंडिया के पूर्णकालिक निदेशक आजम मोनेम ने कहा 'जब हमने सत्र का आगाज किया, तो बाजार काफी मजबूत था और दाम पिछले साल के मुकाबले ज्यादा थे क्योंकि कोई पिछला स्टॉक नहीं था।' मोनेम ने कहा 'भीषण सूखे की वजह से अप्रैल और मई में फसल का काफी नुकसान नजर आया और दाम बढ़ गए। लेकिन मई के आखिर और जून की शुरुआत में असम में काफी ज्यादा बारिश हुई और फसल में इजाफा हुआ।' असम के मामले में जून सबसे अच्छी गुणवत्ता वाला महीना होता है।
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