दिल्ली मंत्रिमंडल ने मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति—2021 को मंजूरी दे दी। यह नीति भविष्य में किसी भी मेडिकल आपातकाल से निपटने के लिए दिल्ली को मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगी। इस नीति में निजी क्षेत्र को ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने, ऑक्सीजन टैंकरों में निवेश करने और ऑक्सीजन भंडारण सुविधाएं स्थापित करने के लिए कई प्रोत्साहन दिए गए हैं। इससे दिल्ली में ऑक्सीजन की उपलब्धता में सुधार करने में मदद मिलेगी, जो पिछली कोविड लहर को संभालने में एक बड़ी बाधा बन गई थी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस नीति का लक्ष्य कुल 100 टन तक न्यूनतम 50 टन क्षमता की लिक्विड ऑक्सीजन (एलओएक्स) विनिर्माण सुविधाओं की स्थापना करना है। इसके अलावा न्यूनतम 10 टन के गैर-कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों (पीएसए/एयर सेपरेशन यूनिट प्रौद्योगिकी) और कुल 100 टन तक अधिकतम 50 टन क्षमता की स्थापना की जाएगी। अस्पतालों और नर्सिंग होम में न्यूनतम 500 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) क्षमता के कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र (पीएसए/एयर सेपरेशन यूनिट टेक्नोलॉजी) स्थापित होंगे ताकि 200 टन की कुल क्षमता तक मेडिकल ऑक्सीजन की उनकी अधिकतम मांग को पूरा किया जा सके। इस नीति का उद्देश्य 500 टन की कुल क्षमता तक तरल चिकित्सा ऑक्सीजन ढोने के विशेष उद्देश्य से 10 टन की न्यूनतम वहन क्षमता के क्रायोजेनिक टैंकरों के साथ 1,000 टन की कुल क्षमता तक न्यूनतम 10 मीट्रिक टन क्षमता के एलएमओ भंडारण टैंकों की भी स्थापना करना है। इस नीति के तहत दिल्ली सरकार ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए बिजली सब्सिडी, जीएसटी में छूट आदि प्रोत्साहन भी देगी। नीति के अनुसार बिजली सब्सिडी वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने की तारीख से पहले पांच वर्षों के लिए विनिर्माण प्रक्रिया में खपत चार रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से तरल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों और गैर-कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों को उपलब्ध कराई जाएगी। संयंत्र चालू होने के एक महीने के अंदर तरल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों और गैर-कैप्टिव ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों को सकल एसजीएसटी की भरपाई की जाएगी। इस नीति की अधिसूचना की तारीख से 15 दिनों के अंदर सब्सिडी/प्रोत्साहन अनुदान के लिए आवेदन लिए जाएंगे।
