घरेलू हवाई यात्रा करने वालों की संख्या रविवार को बढ़कर 2,69,713 यात्रियों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। यह कोविड के पहले भारतीय विमान कंपनियों से रोजाना उड़ान भरने वालों की संख्या का 75 प्रतिशत है। डीजीसीए के आंकड़ों के मुताबिक भारत के एयरलाइंस से जनवरी 2020 में रोजाना औसतन 3,50,000 लोगों ने उड़ान भरी थी। विमान कंपनियां इस समय 2,065 उड़ानों का संचालन कर रही हैं, जो कोविड के पहले की क्षमता का करीब 65 प्रतिशत है। उद्योग के अधिकारियों ने यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी के लिए लिए सरकार की ओर से किराये तय करने में देरी प्रमुख वजह बताई। 31 जुलाई से प्रभावी होने वाला किराया पिछली शाम को फिर से पेश किया गया, जिससे एयरलाइंस को अपनी इन्वेंट्री बेचने के लिए पर्याप्त वक्त मिल गया, जो जीडीसीए की ओर से अनिवार्य दरों की तुलना में कम से कम 30-40 प्रतिशत कम है। एक एयरलाइंस के अधिकारी ने कहा, 'दिल्ली-मुंबई का किराया 4,500 रुपये तय किया गया है। लेकिन एयरलाइंस ने 31 जुलाई से प्रभावी दरों में देरी का लाभ उठाया और 2,500 रुपये में टिकट बेचे। इससे विमान में सीटें भरने में मदद मिली। इससे पता चलता है कि अगर सरकार फ्लोर और प्राइस बैंड के माध्यम से कोई कृत्रिम व्यवधान पैदा नहीं करती है तो एयरलाइंस बहुत तेजी से कोविड के पहले की क्षमता हासिल कर लेंगी।' एयरलाइंस और एयरपोर्ट के अधिकारी कल अचानक संख्या बढऩे से प्रोत्साहित हैं, लेकिन उन्होंने चेतावनी दी है कि वृद्धि तभी संभव है जब एयरलाइंस सरकार द्वारा तय कीमत के दायरे में टिकट बेचने को बाध्य न हों। एक निजी एयरपोर्ट के अधिकारी ने कहा, 'एयरपोर्टों ने कल सबसे व्यस्त दिन देखा, खासकर इसलिए कि एयरलाइंस सरकारक द्वारा तय सीमा और फ्लोर के बगैर टिकट बेच सकीं। मुझे डर है कि न्यूनतम दाम तय किए जाने के बाद यह तेजी बरकरार नहीं रह पाएगी।' भारत ने 1994 में उड्डयन उद्योग का विनियमन किया और बाजार के मुताबिक किराया तय करने की अनुमति दी। बहरहाल एयरक्राफ्ट ऐक्ट, 1934 के एक प्रावधान के मुताबिक सरकारक को कोई नियम बनाने की अनुमति है, जिसमें शुल्क संबंधी नियम भी शामिल हैं। यात्रा की अवधि के आधार पर हवाई मार्ग के किराये का ढांचा बनाया गया है। ससरकार ने इसका न्यूनतम और अधिकतम किराया तय किया है। इंडिगो के सीईओ रणंजय दत्ता ने इसके पहले कहा था कि नियामकीय सीमा लगाने से एयरलाइन की निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है। उन्होंने कहा, 'हमारा सुबह का किराया, दोपहर के किराये से अलग हो सकता है, रांची का एक तरफ का किराया, दूसरी तरफ के किराये से बिल्कुल अलग है। इसमें लोगों को रचनाशील होने के लिए छोड़ देने की जरूरत है, जिससे वे अपने मुताबिक प्रयोग कर सकें। किसी को यह नहीं कहा जाना चाहिए कि क्या किराया हो सकता है।'
