कोविड-19 के नए मामलों में पिछले हफ्ते हल्की तेजी आने के बाद आर्थिक गतिविधियों के साप्ताहिक संकेतकों में लगातार दूसरे सप्ताह भी नरमी दिख रही है। बिजली उत्पादन पिछले हफ्ते और अधिक कम होकर 2019 के समान हफ्ते के स्तर से भी नीचे चला गया। रेलवे के माल ढुलाई आंकड़ों के साथ भी ऐसा ही हुआ। हालांकि लोगों की आवाजाही में वृद्धि जारी है। यातायात और उत्सर्जन जैसे अन्य संकेतक भी कोविड-19 लॉकडाउन की दूसरी लहर के सुधार में कमी आने के संकेत दिखा रहे हैं। देश के कई हिस्सों में मॉनसून की बारिश से ठंडक होने और सिंचाई के लिए बिजली की मांग कम होने से लगातार दूसरे सप्ताह, हफ्तेवार आधार पर बिजली उत्पादन में कमी आई है। अर्थव्यवस्था के लिहाज से महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्यों में खरीदारी के समय में प्रतिबंध लगने का भी बिजली के उत्पादन में योगदान रहा। रविवार 25 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान सात दिन के रोलिंग औसत आधार पर भारत में 393.5 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ जो पिछले सप्ताह के मुकाबले 5.66 फीसदी कम था। ताजा हफ्ते का आंकड़ा 2019 की इसी अवधि की तुलना में 0.8 फीसदी कम है और यह 2020 के इसी हफ्ते की तुलना में 7 फीसदी ज्यादा है। वर्ष 2019 का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि यह कोविड-19 के देश में दस्तक देने से ठीक पहले का साल है। पिछले हफ्ते व्यक्तिगत स्तर पर लोगों की आवाजाही कम हुई क्योंकि काफी कम लोग अपने कार्यस्थल पर गए और सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल में साप्ताहिक आधार पर कमी आई। किराना और दवा दुकानों पर जाने वालों की तादाद में भी कमी आई है और पिछले सप्ताह की तुलना में आवासीय क्षेत्रों की आवाजाही में वृद्धि हुई। हालांकि कुल मिलाकर आवाजाही 2019 के स्तर से नीचे बनी हुई है। कार्यस्थलों पर जाने वालों की 77 फीसदी तादाद अब देखी जा रही है जबकि ट्रांजिट स्टेशनों का इस्तेमाल 2019 के स्तर के 85 फीसदी पर है। यह सर्च इंजन गूगल के गतिशीलता डेटा पर आधारित है जो अनाम स्थान डेटा के आधार पर लोगों की गतिविधियों पर नजर रखती है। ये आंकड़े अंतराल के साथ जारी किए जाते हैं और ताजा आंकड़े 22 जुलाई के हैं। किराना और दवा दुकानों पर जरूरी सामान की खरीदारी करने के लिए जाने वालों की तादाद 19 प्रतिशत है जो सामान्य से अधिक है। रिटेल आउटलेट और मनोरंजन स्थलों पर जाने वालों की तादाद में अब भी 24 फीसदी की कमी है जबकि पार्कों में जाने वालों की संख्या में 13 प्रतिशत की कमी है। लोगों के कहीं आने-जाने की तादाद में भी कमी है और यह औसतन 15 प्रतिशत कम है। पिछले सप्ताह दिल्ली और मुंबई में यातायात की भीड़ में कमी आई और इसके लिए आंशिक रूप से मॉनसून की बारिश को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। नई दिल्ली में यातायात सामान्य स्तर के 71 प्रतिशत पर आ चुका है जबकि मुंबई यातायात 63 प्रतिशत के स्तर पर है। दोनों आंकड़े साप्ताहिक आधार पर कम हैं। यातायात के डेटा वैश्विक लोकेशन प्रौद्योगिकी कंपनी टॉम टॉम इंटरनैशनल के आंकड़ों पर आधारित हैं। आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों की सड़कों पर पिछले सप्ताह मुंबई की सड़कों की तुलना में अधिक यातायात भीड़ थी। रेलवे की माल ढुलाई ने 2020 के समान हफ्ते की तुलना में दो अंकों की बढ़ोतरी दिखाई हालांकि मुनाफे में कमी दिखी। इसके लिए ऊंचे स्तर के आधार प्रभाव को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। भारतीय रेलवे ने पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में रविवार 25 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान 12.4 फीसदी अधिक माल (टनभार के लिहाज से)ढुलाई की। माल ढुलाई से होने वाली आमदनी में 18.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। दोनों आंकड़े पिछले सप्ताह की तुलना में कम हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन का भी जायजा लेता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड गैस उद्योगों और इंजन से निकलती है जिससे निजी और वाणिज्यिक वाहनों को ऊर्जा मिलती है। देश में मार्च और अप्रैल 2020 में और इस साल फिर से अप्रैल और मई में लॉकडाउन लगने से इस गैस का उत्सर्जन घट गया। पिछले हफ्ते दिल्ली का उत्सर्जन सात दिन के रोलिंग औसत आधार पर 2019 के स्तर से 34.5 फीसदी कम था। मुंबई में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन 2019 के इसी सप्ताह की तुलना में 15.1 प्रतिशत अधिक था जो भारत की वाणिज्यिक राजधानी में वाहनों और औद्योगिक गतिविधियों के अधिक स्तर को दर्शाता है। बिज़नेस स्टैंडर्ड इन साप्ताहिक संकेतकों के साथ-साथ लोगों और आर्थिक गतिविधियों पर नजर रखता है ताकि यह अंदाजा मिल सके कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 के सदमे से कैसे उबर रही है। वृहद अर्थव्यवस्था के आधिकारिक आंकड़े अक्सर कई महीनों के अंतराल के बाद जारी किए जाते हैं। वैश्विक स्तर पर विश्लेषक इन्हीं संकेतकों पर नजर रखते हैं क्योंकि विभिन्न देशों में लॉकडाउन लगाया गया था ताकि कोविड-19 महामारी नियंत्रित की जा सके। भारत में 25 जुलाई को कोविड-19 के 39,361 नए मामले दर्ज किए गए जो पिछले सात दिनों में संक्रमण के 38,550 नए मामलों से थोड़ा अधिक है। मई के पहले सप्ताह में रोजाना संक्रमण के 4 लाख से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे थे। भारत में अब भी संक्रमण की तीसरी लहर के आने का खतरा बना हुआ है।
