सरकार के खर्च बढ़ाने और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के करेंसी फॉरवर्ड खंड में अपनी बाकी पोजिशन कम करनी शुरू कर दी हैं जिससे जून के आखिरी सप्ताह से बैंकिंग प्रणाली में कम से कम एक लाख करोड़ रुपये की तरलता बढ़ी है। सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि 9 जुलाई को बैंकों से आई शुद्ध दैनिक तरलता 4.6 लाख करोड़ रुपये थी। दीर्घकालिक रीपो और आरबीआई से की स्टैंडिंग लिक्विडिटी सुविधा जैसे आउटस्टैंडिंग ऑपरेशन समेत प्रणाली में अतिरिक्त तरलता बढ़कर करीब 5.6 लाख करोड़ रुपये हो गई। जून के मध्य में बैंकों से शुद्ध दैनिक नकदी आने का आंकड़ा 3.05 लाख करोड़ रुपये था, जो मई के अंत में करीब 2.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक था। हालांकि जनवरी की शुरुआत में बैंक आरबीआई के पास 7.3 लाख करोड़ रुपये तक की अपनी अतिरिक्त नकदी जमा करा रहे थे। तरलता में बढ़ोतरी और कमी कई कारकों पर निर्भर करती है, लेकिन ऋण वृद्धि उनमें से एक नहीं है। आरबीआई के उपायों की घोषणा से तरलता बढ़ी है। हालांकि तब से केंद्रीय बैंक दो चरणों में नकद आरक्षी अनुपात 50 आधार अंक बढ़ा चुका है और बैंकिंग प्रणाली से सीधे करीब 2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी सोख चुका है। द्वितीयक बाजार में बॉन्ड खरीद जैसे अन्य तरीकों के जरिये तरलता झोंकी गई थी। लेकिन उसका इस्तेमाल बैंकों ने आरबीआई की रिवर्स रीपो विंडो में जमा कराने के बजाय नीलामियों से ज्यादा बॉन्ड खरीद में किया। तरलता में अहम गिरावट का मुख्य कारण करेंसी फॉरवर्ड खंड में केंद्रीय बैंक के परिचालन थे। पिछले वित्त वर्ष के अंत में आरबीआई की आउटस्टैंडिंग शुद्ध फॉरवर्ड खरीद करीब 72.75 अरब डॉलर थी। करेंसी डीलरों का कहना है कि अब इसमें अहम गिरावट आई है। दरअसल ताजा आंकड़े दर्शाते हैं कि यह अप्रैल में घटकर 64.94 अरब डॉलर पर आ गई। एक निजी बैंक में ट्रेडिंग प्रमुख ने कहा, 'अब आरबीआई फॉरवर्ड बाजार में प्रीमियम का शुद्ध प्राप्तकर्ता है और इससे तरलता पैटर्न फिर से बढ़ा है।' सरकार ने भी खर्च शुरू कर दिया है। सरकार आरबीआई के पास कितनी नकदी रखती है, यह सार्वजनिक नहीं होती है। लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि यह सामान्य समय में करीब 2.5 से 3 लाख करोड़ रुपये होती है, लेकिन अब यह चार लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार ने नकद बैलेंस घटाना शुरू कर दिया होगा और अग्रिम कर भुगतान के साथ सरकार ने खर्च शुरू कर दिया है। फिलिप कैपिटल में सलाहकार (फिक्स्ड इनकम) जयदीप सेन ने कहा, 'सरकारी खर्च के जरिये मध्य जून में अग्रिम कर की निकासी बढ़ी है और इससे बैंकिंग प्रणाली की तरलता में इजाफा हुआ है।' वित्त वर्ष 2021-22 (वित्त वर्ष 2022) की पहली तिमाही में अग्रिम कर संग्रह 28,780 करोड़ रुपये रहा।
