कोविड-19 महामारी ने भारतीयों के उपभोग के ढर्रे पर भी असर डाला है। इस महामारी के दौरान कई वस्तुओं का आयात बढ़ गया तो कुछ वस्तुओं का इस्तेमाल अचानक कम हो गया। पिछले वित्त वर्ष के दौरान विटामिन सी की दवाएं, थर्मामीटर से लेकर साइकिल और लैपटॉप से लेकर वजन मापने वाली मशीनों की मांग में भारी इजाफा हुआ। दूसरी तरफ ऐसी वस्तुओं के आयात में कमी आई है जिनका इस्तेमाल लोग अमूमन घर से बाहर करते हैं। इनमें खेल के सामान, महिलाओं के हैंडबैग और कृत्रिम दांत आदि के आयात में खासी कमी देखी गई। महामारी के दौरान लोग अपने घरों में दुबके थे जिसका सीधा असर लोगों के उपभोग व्यवहार पर दिखा। वित्त वर्ष 2020-21 के आयात आंकड़ों के अनुसार पिछले एक वर्ष के दौरान कुछ खास वस्तुओं की मांग के ढर्रे में खासा बदलाव दखने में आया है। पिछले वित्त वर्ष लोगों ने अपनी बाहरी गतिविधियां कम कर दी और स्कूल भी ऑनलाइन ही पढ़ाई करा रहे थे। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार खेल-कूद के सामान की मांग कम हो गई जबकि लैपटॉप और बैटरी चार्जर की मांग में खासी तेजी देखी गई। कोविड के दौरान ज्यादातर स्थानों, यहां तक कि कार्यालयों में प्रवेश से पहले भी शरीर का तापमान मापा जाने लगा, जिस वजह से डिजिटल थर्मामीटर का आयात 2,410 प्रतिशत बढ़ गया। इनमें लगभग तीन चौथाई हिस्सा चीन से आया। महामारी के दौरान विटामिन की दवाओं की मांग में अचानक तेज इजाफा हुआ है। प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए डॉक्टर अक्सर लोगों का विटामिन सी की गोली खाने की सलाह दे रहे हैं। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार इस वजह से वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान इसका भी आयात 450 प्रतिशत बढ़ गया। लोगों के उपभोग प्रारूप में बदलाव पर इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि कोविड- 19 महामारी से अचानक लोगों की गतिविधियां एवं दिनचर्या दोनों बदल गईं। नायर ने कहा कि महामारी के बीच स्वास्थ्य एवं जीवन-शैली पर लोगों ने अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया जिसका सीधा असर वस्तुओं के इस्तेमाल पर हुआ। वित्त वर्ष 2021 में जहां तक भारत के कुल आयात का सवाल है तो लॉकडाउन की वजह से अप्रैल 2020 में इसमें कमी देखी गई। हालांकि बाद में लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद आयात बढऩे लगा और दिसंबर से इसमें खासी तेजी दिखने लगी।
