बैंक सावधि जमा (एफडी) की ब्याज दरें पिछले कुछ वर्षों के दौरान घटी हैं। उदाहरण के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 7 दिन से 10 साल तक की अलग-अलग अवधियों के लिए 2.9 से 5.4 फीसदी तक की दर से ब्याज दे रहा है। वरिष्ठ नागरिकों को वह एफडी पर 3.4 से 6.2 फीसदी ब्याज दे रहा है। मगर बैंक एफडी से मिलने वाला प्रतिफल लगातार बढ़ती महंगाई को मात नहीं दे पा रहा है। इसीलिए निवेशक बेहतर विकल्प की तलाश में हैं। विकल्प तलाशते समय कंपनियों की एफडी पर नजर पडऩी लाजिमी है। इस समय बहुत सी कंपनियों की एएए रेटिंग वाली एफडी मौजूद हैं। उन पर 8.25 फीसदी तक प्रतिफल मिल जाता है।ऊंचा प्रतिफल निश्चित आय वाली योजनाओं में निवेश करने वाले बहुत से निवेशकों के बीच कंपनी एफडी खासी लोकप्रिय भी हैं क्योंकि उन पर बैंक एफडी की तुलना में बेहतर ब्याज मिलता है। पैसाबाजार के वरिष्ठ निदेशक साहिल अरोड़ा कहते हैं, 'उन पर सामान्यतया बैंक एफडी से ऊंची दर पर ब्याज मिलता है।' उनमें भुगतान के भी काफी विकल्प हैं। आप अपनी जरूरत और सहूलियत के हिसाब से मासिक, तिमाही, छमाही और सालाना भुगतान चुन सकते हैं। कोई एफडी कितनी अच्छी है और उसमें निवेश करना कितना सही है, इस बात का अनुमान क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों से एफडी को मिली रेटिंग के जरिये लग सकता है। कॉरपोरेट एफडी में प्रतिफल डेट म्युचअल फंडों की तुलना में अधिक सुनिश्चित होता है क्योंकि उनकी ब्याज दरें पूरी अवधि में एक समान रहती हैं और बैंकों की तरह नीति एवं बाजार दरों में परिवर्तन के साथ बदलती नहीं रहती हैं।चूक का जोखिम कंपनियों की एफडी में प्रतिफल तो ऊंचा मिलता है मगर उनमें जोखिम भी अधिक होता है। बैंकबाजार के मुख्य कार्याधिकारी आदिल शेट्टी ने कहा, 'उनमें सबसे बड़ा जोखिम क्रेडिट जोखिम का होता है यानी हो सकता है कि कंपनी आपको ब्याज या मूलधन लौटा ही नहीं पाए।' यह बात याद रखें कि क्रेडिट रेटिंग केवल डिफॉल्ट की आशंका की जानकारी मुहैया कराती हैं। ज्यादा रेटिंग वाली कॉरपोरेट एफडी सुरक्षित होती है, लेकिन उनकी भी कोई गारंटी नहीं होती है। शेट्टी कहते हैं, 'पहले भी ऊंची रेटिंग वाली कॉरपोरेट एफडी चूक यानी डिफॉल्ट की शिकार हो चुकी हैं। वे जमाकर्ताओं को समय पर ब्याज चुकाने या मूलधन लौटाने में नाकाम रही हैं।' कॉरपोरेट एफडी में किसी तरह का बीमा भी नहीं होता है। अरोड़ा कहते हैं, 'प्रत्येक अनुसूचित बैंक में पांच लाख रुपये तक की चालू, सावधि और आवर्ती बैंक जमाएं भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सहायक डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन के जमाकर्ता बीमा कार्यक्रम में कवर होती हैं।'तो निवेश करें? किसी कंपनी एफडी में निवेश करने से पहले जांच लें कि कंपनी के वित्तीय एवं अन्य मानक अच्छे हैं या नहीं। शेट्टी कहते हैं, 'निवेश से पहले कंपनी के प्रबंधन और कारोबारी मॉडल को समझने की कोशिश पर कुछ समय खर्च करें। आखिरकार कॉरपोरेट एफडी में निवेश करआप कंपनी को ऋण दे रहे हैं।' मौजूदा माहौल में खुदरा निवेशकों को एएए रेटिंग प्राप्त एफडी से जुड़े रहना चाहिए। अरोड़ा यह भी समझाते हैं कि इनमें किन लोगों को निवेश करना चाहिए। वह कहते हैं, 'जो निवेशक अधिक जोखिम लेने की क्षमता रखते हैं और बैंक एफडी से ज्यादा प्रतिफल प्राप्त करना चाहते हैं या जो डेट फंडों से ज्यादा आय निश्चितता हासिल करना चाहते हैं, वे कॉरपोरेट एफडी को चुन सकते हैं।' टीपीएनजी कैपिटल एडवाइजर्स के संस्थापक और सीईओ तरुण बिरानी कहते हैं, 'ये बड़े और भरोसेमंद समूह हैं। अपने डेट आंवटन का एक हिस्सा इन एफडी में अल्पावधि के लिए लगाएं।' कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आपको उनमें केवल एक साल के लिए निवेश करना चाहिए। आनंद राठी प्रिफर्ड की प्रमख झरना अग्रवाल कहती हैं, 'इन उच्च रेटिंग प्राप्त कंपनियों की तरलता स्थिति का पता करें और फिर एक साल के लिए रकम जमा करें। बाजार अगले एक साल के दौरान दरों में बढ़ोतरी के हिसाब से बदलाव कर लेंगे। एक साल के बाद परिपक्वता पर मिलने वाली धनराशि को म्युचुल फंड में निवेश किया जा सकता है।' दो कारणों से लंबी अवधि के निवेश से बचें। पहला, एक साल के बाद धनराशि को लगाने के लिए अवसर पैदा हो सकते हैं। दूसरा कंपनियों के उस स्थायित्व को लेकर अनुमान लगाना मुश्किल है, जिसके साथ लंबी अवधि के लिए धनराशि जमा की गई है। ऊंची कर श्रेणी में आने वाले निवेशकों को कंपनी एफडी से दूर रहना चाहिए और डेट म्युचुअल फंडों से जुड़े रहना चाहिए। बिरानी कहते हैं, 'कंपनी एफडी से प्राप्त ब्याज आमदनी निवेशक की आमदनी में जुड़ेगी। अगर आप सात फीसदी ब्याज कमाते हैं और 40 फीसदी कर चुकाते हैं तो आपके पास केवल चार फीसदी ब्याज बचेगा। कर बचत के लिहाज से डेट म्युचुअल फंड ज्यादा बेहतर हैं।'
