कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर की आशंका के बीच देश के विभिन्न राज्य स्वास्थ्य ढांचे में सुधार के लिए युद्ध स्तर पर जुट गए हैं। अप्रैल-मई में इस महामारी की भीषण लहर से उत्पन्न हालात से सबक लेते हुए इस बार ऑक्सीजन उत्पादन एवं इसकी आपूर्ति व्यवस्था चाक-चौबंद रखने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। आवश्यक दवाओं का पर्याप्त बंदोबस्त करने के साथ ही अस्पतालों में बच्चों के लिए इलाज के लिए अधिक से अधिक बिस्तर तैयार किए जा रहे हैं। राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों ने स्वीकार किया कि देश दूसरी लहर से निपटने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं था और अब इससे सबक लेकर आगे किसी तरह की लापरवाही से बचने के तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं। देश के लगभग हरेक राज्य ने ऑक्सीजन की आपूर्ति निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए व्यापक योजना तैयार की है। उदाहरण के लिए राजस्थान ने गांव-गांव तक ऑक्सीजन पहुंचाने की योजना बनाई है। राज्य इसके लिए दो सूत्री नीति अपना रहा है। पहली बात तो राज्य में सरकारी संयंत्रों में 430 से अधिक नए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किए जा रहे हैं, दूसरी पहल के तहत ऑक्सीजन कंसन्टे्रटर मशीनें लगाई जा रही हैं। इस बारे में राजस्थान के स्वास्थ्य सचिव सिद्धार्थ महाजन ने बताया, 'कुल मिलाकर अब हमारे पास 40,000 से अधिक ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर हो गए हैं। इनमें हरेक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में 5, प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में 10 और शेष ऑक्सीजन कंसन्संट्रेटर सरकारी अस्पतालों में लगाए गए हैं।' राजस्थान में करीब 700 सीएचसी और 2,100 से अधिक पीएचसी हैं। दक्षिणी राज्य तमिलनाडु का कहना है कि कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान राज्य में ऑक्सीजन की जरूरत 470 टन तक पहुंच गई थी। राज्य ने तीसरी लहर की आशंका देखते हुए ऑक्सीजन की किसी कमी से निपटने के लिए भंडारण क्षमता में इजाफा कर लिया है। राज्य के स्वास्थ्य सचिव जे राधाकृष्णन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए हमने भंडारण टैंक की क्षमता बढ़ाकर 1,110 टन तक कर दी है। हमने इसे और बढ़ाकर 2,500 टन करने का निर्णय लिया है।'केरल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने कहा कि तीसरी लहर के किसी खतरे से निपटने के लिए वे स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत कर रहे हैं। केरल लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन क्षमता प्रतिदिन 149 टन से बढ़ाकर 300 टन प्रति दिन कर रहा है। उत्तर प्रदेश भी 75 जिलों में 542 नए ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित कर रहा है। पूर्वी राज्य पश्चिम बंगाल 10 प्रेशर स्विंग एब्जॉप्र्र्शन (पीएसए) ऑक्सीजन संयंत्र जोड़ रहा है, जबकि पश्चिमी राज्य गुजरात 300 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने वाला है। राज्यों ने ये संयंत्र अगले महीने तक शुरू करने की योजना भी तैयार कर ली है। उत्तर प्रदेश का कहना है कि 542 में 151 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्रों में परिचालन शुरू हो गया है और अगले महीने तक शेष संयंत्र भी काम करने लगेंगे। गुजरात ने अपने यहां 300 पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिनमें 175 संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। बच्चों पर विशेष ध्यानराज्य बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने पर विशेष जोर दे रहे हैं। तीसरी लहर से बचने की राज्य की तैयारी पर पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, 'राज्य में बच्चों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं सुधारने पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। पश्चिम बंगाल सरकार ने उन महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर टीके लगाने का निर्णय लिया है, जिनके12 वर्ष से कम उम्र के बच्चे हैं। किसी तीसरी लहर की आशंका से निपटने के लिए तमिलनाडु 1,75,000 नए बिस्तर (बेड) तैयार कर रहा है। राधाकृष्णन ने कहा कि हरेक जिले में कम से कम 100 बेड होंगे जिनमें 50 प्रतिशत बच्चों के लिए आरक्षित रहेंगे। इसी तर्ज पर केरल भी बच्चों के लिए स्वास्थ्य ढांचे तैयार करने पर जोर दे रहा है और चिकित्सकों एवं बाल रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षित भी कर रहा है। पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश बाल रोगियों के लिए सघन चिकित्सा कक्ष (पीआईसीयू) और नवजात शिशु सघन चिकित्सा कक्ष (एनआईसीयू) स्थापित कर रहे हैं। पीआईसीयू एक महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए है जबकि एनआईसीयू में एक महीने से कम उम्र के बच्चों का इलाज होगा। उत्तर प्रदेश में अब तक 3,500 पीआईसीयू और 1,800 आइसोलेशन बेड तैयार किए जा चुके हैं, जबकि निजी अस्पतालों में गंभीर रूप से संक्रमित बच्चों के लिए 2,900 आइसोलेशन बेड के इंतजाम किए गए हैं। गुजरात में इस वक्त 1,800 कोविड-19 चिकित्सा केंद्र हैं और अब इसमें 600 और नए संयंत्र जोड़े जाएंगे। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि ऑक्सीजन एवं आईसीयू बेड की संख्या क्रमश: 61,000 से बढ़ाकर 110,000 और 15,000 से बढ़ाकर 30,000 की जा रही है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार वेंटीलेटर की संख्या भी 7,000 से बढ़ाकर 15,000 की जा रही है। गुजरात ने तीसरी लहर में संक्रमण के दैनिक मामले 25,000 से अधिक और सक्रिय मामले 2.5 लाख तक पहुंचने की आशंका जताई है। दूसरी लहर में राज्य में दैनिक मामले 1,400 रहे थे और अधिकतम सक्रिय मामले 1.50 लाख तक पहुंच गए थे। दिल्ली सरकार कोविड-19 के इलाज के लिए बेड की संख्या 28,000 से बढ़ाकर 37,000 करने पर विचार कर रही है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि ऑक्सीजन के लिए कई ऑक्सीजन पीएसए और भंडारण संयंत्र स्थापित किए जा चुके हैं। दवाई एवं नर्सों की व्यवस्थाआवश्यक दवाओं के पर्याप्त भंडार का इंतजाम करना भी राज्यों की प्राथमिकताओं में शामिल है। महाजन का कहना है कि राजस्थान सरकार ने दूसरी लहर के दौरान घर-घर जाकर लोगों को दवाओं के 18 लाख पैकेट पहुंचाए। राज्य सरकार ने और अधिक दवाएं खरीदने एवं इनके पर्याप्त भंडार तैयार करने के आदेश दिए हैं। राज्य में कोविड-19 के मरीजों की देखभाल के लिए 28,000 अस्थायी नर्सों की भर्तियां की हैं। अल्प अवधि के लिए करीब 1,000 चिकित्सों की भर्ती भी की जा रही है। राज्य स्वास्थ्य ढांचे तैयार करने और मानव संसाधनों की नियुक्ति एवं उन्हें प्रशिक्षित करने के अलावा अधिक से अधिक लोगों को टीके लगाने पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं। इस बीच, दिल्ली सरकार ने यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान (आईएलबीएस) में जीनोम सीक्वेंसिंग सुविधा शुरू की है। इसके अलावा लोक नायक जय प्रकाश नारायण (एनएनजेपी) हॉस्पिटल में भी ऐसी ही प्रयोगशालाएं शुरू की गई हैं। दिल्ली सरकार कोविड-19 वायरस के नए स्वरूपों की पहचान करने के लिए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण संस्थान एवं केंद्र सरकार की अन्य एजेंसियों पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती है। (सोहिनी दास, शाइन जैकब, विनय उमरजी, रुचिका चित्रवंशी, वीरेंद्र सिंह रावत और ईशिता आयान दत्त)
