विजय शेखर शर्मा की वन87 कम्युनिकेशंस साल 2010 में आईपीओ बाजार में उतरने वाली थी। उसने इश्यू की तारीख का ऐलान भी कर दिया था, लेकिन बाजार में उतारचढ़ाव का हवाला देते हुए आखिरी समय में उसने सूचीबद्धता की योजना टाल दी।
उस साल करीब 38,000 करोड़ रुपये के 64 आईपीओ की पेशकश हुई थी। वन97 भी उसमें शामिल होती पर जुटाई गई रकम पर बहुत अंतर नहीं पड़ता क्योंकि उसके आईपीओ का आकार महज 120 करोड़ रुपये का था। उसी साल भारत का सबसे बड़ा आईपीओ कोल इंडिया ने पेश किया, जो 15,200 करोड़ रुपये का था।
11 साल की अवधि में वन97 कम्युनिकेशन (जिसके पास पेटीएम का स्वामित्व है) अब कोल इंडिया के आईपीओ के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ते हुए 16,600 करोड़ रुपये का आईपीओ पेश करने जा रही है। वन97 को सॉफ्टबैंक, बर्कशायर हैथवे और एंट ग्रुप का समर्थन हासिल है और आईपीओ में उसकी नजर करीब 1.85 लाख करोड़ रुपये के मूल्यांकन पर है। साल 2010 में कंपनी का मूल्यांकन 500 करोड़ रुपये से भी कम था क्योंकि तब यह कंपनी मोबाइल वैल्यू ऐडेड कंपनी के तौर पर परिचालन कर रही थी।
पेटीएम के कॉलर ट्यून प्रदाता से डिजिटल भुगतान सेवा देने वाली कंपनी बनने के कारण उसके मूल्यांकन में भारी उछाल आई है। साल 2010 में दाखिल विवरणिका मसौदे के मुताबिक, कंपनी का नेटवर्थ महज 140 करोड़ रुपये था और मार्च 2010 के आखिर में उसकी कुल आय 119 करोड़ रुपये और शुद्ध लाभ 16 करोड़ रुपये था। मार्च 2021 के आखिर में पेटीएम का नेटवर्थ 6,535 करोड़ रुपये और कुल आय 3,187 करोड़ रुपये थी। कंपनी की बैलेंस शीट पिछले दशक में कई गुना बढ़ी है। उसका नेटवर्थ हालांकि सुस्त है क्योंकि कंपनी नए क्लाइंटों व मर्चेंट हासिल करने पर भारी नुकसान उठा रही है।
आईपीओ से पहले पेटीएम ने नुकसान घटाने की कोशिश की है। वित्त वर्ष 21 में उसका कुल नुकसान 1,701 करोड़ ररुपये था, जो वित्त वर्ष 2019 के 4,230 करोड़ रुपये से 60 फीसदी कम और वित्त वर्ष 20 के 2,942 करोड़ रुपये के मुकाबले 42 फीसदी कम है। विपणन खर्च में भारी कटौती से यह हासिल हुआ है, जो वित्त वर्ष 2019 के 3,408 करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 21 में घटकर 532 करोड़ रुपये रह गया।
पेटीएम मतलब पे थ्रू मोबाइल ने मोबाइल फोन में टॉपअप की सेवाओं और अन्य यूटिलिटी बिल के भुगतान से अपनी यात्रा शुरू की थी। स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल और सरकार की तरफ से बड़े नोट बंद किए जाने के बाद पेटीएम की रफ्तार तेजी से बढ़ी। इस कदम से बाद कंपनी ने काफी नए ग्राहक व मर्चेंट जोड़े। अभी यह देश का सबसे बड़ा पेमेंट प्लेटफॉर्म है, जिसके पास 33.3 करोड़ ग्राहक और 2.1 करोड़ मर्चेंट हैं।
हाल में पेटीएम ने वित्तीय सेवाओं की शुरुआत की है, जिसमें ब्रोकिंग, म्युचुअल फंड, बीमा और वेल्थ मैनेजमेंट शामिल है और यह काम कंपनी अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली इकाई पेटीएम मनी के जरिए कर रही है।
पेटीएम मनी जीरो कमीशन, एमएफ योजनाओं के डायरेक्ट प्लान की पेशकश करती है। पेशकश दस्तावेज के मुताबिक, उसके पास करीब 13 लाख एमएफ ग्राहक हैं। ब्रोकिंग के मोर्चे पर उसने 31 मार्च तक 2.08 लाख ट्रेडिंग अकाउंट संभाला है।
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