बैंकों ने अब तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए पेशकश की गई 50,000 करोड़ रुपये की विशेष तरलता सुविधा और होटल तथा पर्यटन जैसे ठेका गहन क्षेत्रों के लिए 15,000 करोड़ रुपये की तरलता सुविधा का लाभ उठाने के लिए सक्रियता नहीं दिखाई है। रिजर्व बैंक ने विशेष तौर पर स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 7 मई को योजना की घोषणा की थी। इसके बाद केंद्रीय बैंक ने ठेका गहन क्षेत्रों की मुश्किल को आसान करने के लिए योजना की रकम में इजाफा किया। बैंकों को अपने अनिवार्य प्रमुखता वाले क्षेत्र में ऋण दिए जाने वाली रकम जिसे कोविड बुक नाम दिया गया था को शामिल करने की अनुमति दी गई थी। रिजर्व बैंक ने कहा था कि बैंक अपने कोविड लोन बुक के बराबर रकम केंद्रीय बैंक की रिवर्स रीपो सुविधा में रख सकते हैं और रीपो दर से 25 आधार अंकों की कम दर का लाभ उठा सकते हैं। अब तक कितना ऋण दिया गया है के बारे में प्रत्यक्ष तौर पर कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है लेकिन बैंकों की ओर से उनके लिए उपलब्ध प्रोत्साहन योजना के उपयोग पर गौर करने से अप्रत्यक्ष तौर पर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। आंकड़ों से पता चलता है कि 2 जुलाई तक बैंकों ने उस विशेष रीपो विंडो में 3,097 करोड़ रुपये रखे हैं। सामान्य अवस्था में मार्जिन के लिए तत्पर रहने वाले बैंक इस अवसर को नहीं गंवाते। या तो उन्होंने योजना के तहत पर्याप्त ऋण नहीं बांटे हैं या फिर जिन बैंकों ने बड़े पैमाने पर ऋण दिए हैं उनके पास जमा कराने के लिए अतिरिक्त तरलता नहीं थी। विश्लेषकों का कहना है कि दूसरी संभावना कमजोर है क्योंकि जिन बैंकों के पास पर्याप्त तरलता नहीं है वे वैसे भी इन दबावग्रस्त क्षेत्रों को ऋण नहीं देंगे भले ही ये उनकी अनिवार्य प्रमुखता क्षेत्र के ऋणों का हिस्सा हैं। हालांकि, एक वरिष्ठ बैंकर ने इंगित किया कि बैंकों के लिए इन क्षेत्रों को ऋण देने की शुरुआत करना जल्दबाजी होगी। बैंकर ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'यह काफी जल्दबाजी है। रिजर्व बैंक ने बैंकों को अपने बोर्ड से मंजूर किए गए नीति को लाने और अपने स्वयं का परिपत्र जारी करने के लिए 30 दिनों का वक्त दिया था। और सभी ने जून के पहले हफ्ते में ही अपने परिपत्र जारी कर दिए। ऋण देने की शुरुआत अब तक नहीं हुई है लेकिन हो जाएगी।' बैंकने कहा कि इसके अलावा क्षेत्र की कंपनियों ने अब तक बड़ी संख्या में ऋण मांगना शुरू नहीं किया है। वृद्घि अब भी अर्थव्यवस्था में चिंता का एक प्रमुख क्षेत्र है इसे सुविधाजनक बनाने के लिए केंद्रीय बैंक फिलहाल के लिए अनुदार मुद्रास्फीति देखने के लिए तैयार है। इसका सबसे अधिक असर उपभोक्ता मांग में संकुचन के रूप में महसूस किया गया। लॉकडाउन में ढील दिए जाने के बाद गतिविधियों ने अभी जोर पकडऩा शुरू ही किया है लेकिन यह अब भी कमजोर अवस्था में है। वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 7.3 फीसदी का भारी संकुचन आया था और केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में 9.5 फीसदी की वृद्घि का अनुमान जताया है। यह अनुमान इस बात पर निर्भर करेगा कि महामारी का असर पहली तिमाही तक ही सीमित रहेगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले हफ्ते बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा, 'अर्थव्यवस्था को वृद्घि के महामारी के पूर्व के स्तर पर पहुंचने और उसे पार करने की जरूरत है।' इस संदर्भ में प्रभावित क्षेत्र बैंकों से और अधिक उधार लेने और अपने ऊपर ऋण बोझ को बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हैं। जब तक पर्यटन और सेवाओं के लिए मांग में वापसी नहीं होती है, या स्वास्थ्य क्षेत्र को अपने परिचालनों को तेजी से दुरुस्त करने की जरूरत नहीं पड़ती है तब तक जल्दबाजी में ऋण नहीं लिए जाएंगे। हालांकि, बैंक आगामी महीनों में पूरी रकम का उपयोग करने को लेकर आश्वस्त हैं। योजना 31 मार्च, 2022 तक चलेगी। विश्लेषकों का कहना है कि बैंक अपने प्रमुखता क्षेत्र के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए उत्सुकता दिखाएंगे।
