दक्षिण कोरिया की इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विनिर्माता कंपनी सैमंसग ने भारत के सूचना-प्रौद्योगिकी (आईटी) ढांचे एवं दूरसंचार उपकरण खंड से जुड़ी सरकार की उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना (पीएलएस) योजना को लेकर अधिक उत्साह नहीं दिखाया है। सैमसंग का उदासीनता भरा रुख इसलिए भी अहम है क्योंकि इन दोनों खंडों में इस कंपनी की बड़ी हिस्सेदारी है। सैमसंग के इस निर्णय से सवाल उठने लगे हैं कि कंपनी ऐपल जैसी दूसरी कंपनियों के साथ सरकार की महत्त्वाकांक्षी पीएलआई योजना को दुनिया के दूसरे देशों तक ले जाएगी या नहीं। सैमसंग इस योजना को लेकर फिलहाल जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहती है। 2021 की पहली तिमाही में कैनालिस के एक शोध के अनुसार टैबलेट, लैपटॉप एवं पर्सनल कम्प्यूटर बाजार में कंपनी की मोटी हिस्सेदारी है। टैबलेट कारोबार में सैमसंग की मजबूत उपस्थिति बदौलत यह पिछले वर्ष पांचवे से इस वर्ष चौथे स्थान पर पहुंच गई है। टैबलेट खंड में इसकी 8.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है। दूरसंचार उपकरण खंड में पिछले लगभग एक या दो वर्षों में इसकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक रही है। रिलायंस जियो, एरिक्सन, नोकिया एवं हुआवे जैसी कंपनियों से मिले सौदे की बदौलत इसे अपनी हिस्सेदारी मजबूत करने में मदद मिली है। कंपनी ने मोबाइल उपकरणों के लिए पीएलआई योजना में शिरकत तो जरूर की है और ऐपल के साथ यह 10 पात्र कंपनियों की सूची में शामिल रही है। हालांकि ऐपल पीएलआई योजना को लेकर खासी गंभीर दिख रही है लेकिन सैमसंग के साथ ऐसी बात नहीं है। ऐपल ने अपने तीन वेंडरों के जरिये अगले पांच वर्षों के अंदर पीएलआई योजना के तहत कुल मोबाइल उत्पादन मूल्य (6 लाख करोड़) के 56 प्रतिशत से अधिक हिस्से का उत्पादन भारत में करने की योजना का खुलासा किया है। कंपनी ने 80 प्रतिशत तक मोबाइल फोन निर्यात करने की योजना बनाई है जो पीएआई योजना के तहत जरूरी 60 प्रतिशत से कहीं अधिक है। दूसरी तरफ सैमसंग ने कोई आंकड़ा देने से मना कर दिया लेकिन समझा जा रहा है कि पिछले वर्ष इसने 2 से 2.5 अरब डॉलर मूल्य के मोबाइल फोन का निर्यात किया है। पिछले वर्ष पीएलआई योजना के तहत उत्पादन लक्ष्य हासिल करने वाली यह एक मात्र कंपनी थी। विश्लेषकों का कहना है कि पीएलआई योजना को लेकर सैमसंग के सतर्क होने की वजह यह है कि 2020 में पीएलआई योजना शुरू होने से पहले कंपनी वियतनाम को अपना विनिर्माण केंद्र बनाने का निर्णय चुकी थी। ऐपल की रणनीति अलग है। अमेरिका और चीन के बीच व्यापार के मोर्चे पर तनाव पैदा होने के बाद ऐपल ने चीन से बाहर विनिर्माण केंद्र की तलाश शुरू कर दी। कंपनी के 95 प्रतिशत से अधिक उत्पाद चीन में तैयार होते हैं। ऐपल ने इंडोनेशिया जैसे दूसरे देशों पर भी विचार किया लेकिन उसने अंतत: भारत का विकल्प चुना और ठीक उसी दौरान सरकार ने दुनिया के शीर्ष ब्रांडों को लुभाने के लिए पीएलआई योजना की घोषणा कर दी। विश्लेषकों का कहना है कि वियतनाम में कम उत्पादन लागत को देखते हुए सैमसंग ने वियतनाम को प्रमुख ठिकाने के तौर पर चुना। सैमसंग ने वियतनाम में 17 अरब डॉलर से अधिक निवेश किए हैं और भारत में इसने 2018 में 4,900 करोड़ रुपये निवेश की बात कही थी। हालांकि इसका ज्यादातर निवेश वियतनाम में हुआ है।
