नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने बुधवार को ओयो व उसकी सहायक कंपनियों के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही बंद कर दी और फेडरेशन ऑफ होटल ऐंड रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) समेत बाहरी पक्षकारों के हस्तक्षेप की स्वीकृति नहीं दी।उद्योग निकाय एफएचआरएआई ने कहा कि मई में एनसीएलटी ने ओयो यूनिट के दिवालिया मामले में होटलों के बदले उसे ट्रिब्यूनल के सामने हस्तक्षेप की इजाजत दी थी। एसोसिएशन ने भारत में अपने सदस्य होटलों के बदले आवेदन दिया था, जिसने कहा कि ओयो की तरफ से कर्ज का भुगतान न होने पर परिचालक लेनदार भारी संकट झेल रहे थे।बुधवार को एनसीएलएटी ने ओयो की सहायक ओयो होटल्स ऐंड होम्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही बंद कर दी और ओयो होटल्स ऐंड होम्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ दिवालिया संहिता को दरकिनार करने की इजाजत ओयो को याचिका पर दे दी।बकाया दावे के निपटान के लिए ओयो अपने होटल साझेदारों के साथ काम करती रहेगी। कंपनी ने एक बयान में यह जानकारी दी।ओयो के सीईओ (भारत व दक्षिण पूर्व एशिया) रोहित कपूर ने कहा, हम एनसीएलएटी के फैसले का स्वागत करते हैं और अब यह मामला अंतत: समाप्त हो गया है। हम मूल रूप से दावा करने वालों के साथ पहले ही मामला निपटा चुके थे लेकिन निहित स्वार्थ वाले इसमें हस्तक्षेप कर रहे थे, जो इसमें पक्षकार भी नहीं थी और इसी वजह से मामला बंद होने में देर हुई। कोविड महामारी ने पर्यटन उद्योग को काफी नुकसान पहुंचाया है और हमारा मानना है कि उद्योग संगठनों की कोशिशों से ऐसे मुश्किल समय के दौरान उद्योग को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी। ओयो की एक इकाई के खिलाफ नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में याचिका दायर करने वाले गुरुग्राम के होटल कारोबारी राकेश यादव ने जून में आतिथ्य सेवा स्टार्टअप के साथ यह मुद्दा हल होने के बाद मामला वापस ले लिया था।ओयो के वकील खेतान ऐंड कंपनी ने कहा, 'इस मामले में ओयो आरके आयादव सहित सभी प्रासंगिक हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह एक सीधा-सादा मामला था जहां दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से इसे सुलझा लिया और किसी के हस्तक्षेप के लिए इसमें कोई गुंजाइश नहीं थी। माननीय ट्रिब्यूनल ने भी अब इसे बरकरार रखा है।'यादव द्वारा याचिका दायर किए जाने के बाद इसी साल अप्रैल में एनसीएलटी के अहमदाबाद पीठ ने ओयो की सहायक इकाई ओयो होटल्स ऐंड होम्स प्राइवेट लिमिटेड (ओएचएचपीएल) के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू की थी। उन्होंने दावा किया था कि ओएचएचपीएल ने उनके 16 लाख रुपये के भुगतान में चूक की है। इस मामले के निपटान के बारे में यादव के वकील लेक्सपोर्ट के श्रीनिवास कोटनी ने कहा था, 'एनसीएलटी के अहमदाबाद पीठ में ओयो की सहायक इकाई ओएचएचपीएल के खिलाफ आईबीसी का मामला पूरी तरह निपट चुका है और याचिका वापस ले ली गई है। इसके अलावा मेरे मुवक्किल ने 16 लाख रुपये प्राप्त होने का स्वीकार किया है।'
