विपक्ष के हंगामे के साथ महाराष्ट्र विधानमंडल का दो दिवसीय सत्र समाप्त हो गया। सरकार ने केंद्र द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के जवाब में महाराष्ट्र सरकार ने कृषि, सहकारिता, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति से संबंधित तीन संशोधित विधेयक सदन में पेश किए। राज्यपाल ने राज्य विधानसभा का सत्रावसान किया। सोमवार को शुरु हुआ दो दिवसीय मॉनसून अधिवेशन का मंगलवार को सत्रावसान हो गया। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य विधानसभा के मॉनसून सत्र का सत्रावसान करने की घोषणा की। विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल ने सत्रावसान का आदेश पढ़ा। जिरवाल ने कहा कि विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर में 7 दिसंबर से शुरू होगा। विधानसभा के दो दिवसीय मॉनसून सत्र के दौरान दो अहम संकल्प पारित किये गये, जिनमें नौकरियों एवं शिक्षण संस्थानों में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित जाति आधारित आरक्षण की ऊपरी सीमा 50 फीसदी को हटाना और केंद्र से राज्य को 2011 के जनगणना के आंकड़े साझा करने की मांग शामिल है। मंगलवार को विपक्षी भाजपा विधायकों ने सदन के बाहर विधानसभा परिसर में समानांतर सत्र का आयोजन किया। उन्होंने अपने 12 विधायकों के सदन से निलंबन का विरोध जताने के लिए ऐसा किया। महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार ने केंद्र द्वारा लागू किये गये तीन नए कृषि कानूनों के जवाब में मंगलवार को कृषि, सहकारिता, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति से संबंधित तीन संशोधित विधेयक सदन में पेश किए। इन विधेयकों में व्यापारियों के साथ कृषि अनुबंध में उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दर से अधिक कीमत देने, देय राशि का समय पर भुगतान, किसानों का उत्पीड़न करने पर तीन साल की जेल या पांच लाख रुपये जुर्माना या दोनों आदि का प्रावधान हैं। इसमें उत्पादन, आपूर्ति, वितरण और आवश्यक वस्तुओं के भंडार की सीमा तय करने आदि के नियमन एवं रोक की शक्ति राज्य सरकार के पास होने की बात है। राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने कहा कि केंद्र के कृषि कानून बिना चर्चा के पारित किए गए और उनके अनेक प्रावधान राज्य सरकारों के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को कानून बनाने का अधिकार है और हम केंद्र के कृषि कानूनों में संशोधन का सुझाव देना चाहते हैं, जो हमारे मुताबिक किसान विरोधी हैं। जिन विधेयकों का मसौदा जनता के सुझाव और आपत्तियों के लिहाज से दो महीने के लिए सार्वजनिक किया गया है, उनमें आवश्यक उत्पाद (संशोधन), किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण), कीमत गारंटी विधेयक, कृषि संबंधी समझौते (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक और केंद्र सरकार के किसान उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य में संशोधन (बढ़ावा एवं सुविधा) विधेयक शामिल हैं। मसौदा विधेयक उप मुख्यमंत्री अजित पवार की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल की उप समिति ने तैयार किए हैं। पवार ने कहा कि मसौदा विधेयक दो महीने के लिए सभी पक्षकारों के विचार विमर्श और चर्चा के लिए रखे जाएंगे।
