भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) पर कर्ज का बोझ तेजी से बढ़ता जा रहा है। राजमार्ग प्राधिकरण का कुल कर्ज वित्त वर्ष 2021 के अंत में 3.17 लाख करोड़ रुपये की नई ऊंचाई पर पहुंच गया है, जो मार्च 2020 के 2.49 लाख करोड़ रुपये के कर्ज से 27 फीसदी अधिक है। इक्रा रेटिंग्स के विश्लेषण के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में एनएचएआई का टोल राजस्व करीब 4 फीसदी घटकर 26,000 करोड़ रुपये रहा है। इसकी वजह से वित्त वर्ष 2021 में एनएचएआई की वित्तीय देनदारी और टोल राजस्व के बीच अंतर बढ़कर 12.13 गुना के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। पांच साल पहले 2016 में यह अनुपात 2.5 गुना और वित्त वर्ष 2014 में 2.1 गुना था। एनएचएआई एनटीपीसी और ओएनजीसी को पीछे छोड़कर देश में गैर-वित्तीय बैंकिंग सार्वजनिक क्षेत्र की ज्यादा कर्ज वाली कंपनी हो गई है। इंडिया रेटिंग्स के अनुसार एनएचएआई वित्त वर्ष 2022 में राजमार्ग परियोजनाओं के लिए 65,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज लेने की तैयारी कर रही है। इससे अगले साल मार्च तक इसका कुल कर्ज बढ़कर करीब 3.8 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। टोल राजस्व के साथ ही एनएचएआई की नेटवर्थ या शेयरधारकों के इक्विटी कास मूल्य भी घटा है। केयर रेटिंग्स ने अपनी हालिया रिपोर्ट में कहा है, 'एनएचएआई की बाह्य उधारी मार्च 2017 में 75,385 करोड़ रुपये थी जो वित्त वर्ष 2021 के अंत में बढ़कर 3,16,894 करोड़ रुपये हो गई।' एनएचएआई का नेटवर्थ वित्त वर्ष 2021 में पहली बार घटकर 2.08 लाख करोड़ रुपये रह गया जो एक साल पहले 2.18 लाख करोड़ रुपये था। इक्रा के अनुसार एनएचएआई को वित्त वर्ष 2020 में 49,231 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। हालांकि कंपनी ने अभी 2021 के नतीजे घोषित नहीं किए हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान एनएचएआई की उधारी सात गुना बढ़ गई है। मार्च 2016 के 43,500 करोड़ रुपये से सालाना 47.6 प्रतिशत चक्रवृद्धि ब्याज की दर से यह बढ़ी है। इसी अवधि के दौरान इसका कुल राजस्व 7.3 प्रतिशत चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2016 में इसका राजस्व 18,500 करोड़ रुपये था। हालांकि टोल से प्राप्त राजस्व और एनएचएआई की उधारी के बीच बढ़ता अंतर पिछले कुछ समय के दौरान देखने में आया है। वित्त वर्ष 2005 से 2016 के बीच एनएचएआई का टोल से प्राप्त राजस्व इसके कर्ज के मुकाबले तेज से गति से बढ़ा है। इससे इसे अपना खाताबही मजबूत बनाए रखने में मदद मिली। वित्त वर्ष 2006 से वित्त वर्ष 2016 की दस वर्षों की अवधि के दौरान एनएचएआई का राजस्व 23 प्रतिशत उठल गया और सालाना आधार पर इसमें 36.7 प्रतिशत की तेजी दर्ज हुई। इसका राजस्व वित्त वर्ष 2006 में 798 करोड़ रुपये था जो वित्त वर्ष 2016 में बढ़कर 18,150 करोड़ रुपये हो गया। इसकी तुनला में इसकी उधारी इसी अवधि के दौरान 4,000 करोड़ रुपये से 11 गुना बढ़कर वित्त वर्ष 2016 में 43,500 करोड़ रुपये हो गई। रेटिंग एजेंसियों ने एनएचएआई पर अतिरिक्त देनदारियों का बोझ पडऩे की आशंका पर भी चिंता जताई है। इस समय देश के विभिन्न न्यायालयों में एनएचएआई कई कानूनी मसलों से जूझ रहा है। इस बारे में केयर रेटिंग्स के एक विश्लेषक ने कहा, 'पिछले कई वर्षों से कर्ज बोझ बढऩे के अलावा इस पर दूसरी देनदारियां भी बढ़ गई हैं।' टोल राजस्व में कमी आने से बाजार से उधारी पर एनएचएआई पर निर्भरता बढ़ गई है। इसके साथ ही यह सरकार से मिलने वाली रकम पर भी काफी हद तक निर्भर हो गई है।
