हाइब्रिड योजनाएं पसंद कर रहे निवेशक | |
चिराग मडिया / मुंबई 07 04, 2021 | | | | |
निवेशकों के बीच म्युचुअल फंडों (एमएफ) द्वारा पेश की जाने वाली हाइब्रिड और पैसिव निवेश योजनाओं की लोकप्रियता बढ़ रही है। उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि निवेशकों में यह आशंका पैदा हो गई है कि इक्विटी बाजार भारी तेजी के बाद अब गिरावट का शिकार हो सकता है जिससे वे गैर-इक्विटी या कम जोखिम वाले विकल्पों पर ध्यान दे रहे हैं। पैसिव फंडों और अंतरराष्ट्रीय फंडों में कई नए फंड ऑफरों (एनएफओ) ने निवेशकों को इक्विटी योजनाओं के अलावा अन्य विकल्प तलाशने के लिए भी प्रेरित किया है।
म्युचुअल फंड उद्योग संगठन एम्फी के आंकड़े से पता चलता है कि पिछले 6 महीनों में हाइब्रिड फंडों ने करीब 22,000 करोड़ रुपये का शुद्घ पूंजी प्रवाह आकर्षित किया। हाइब्रिड फंडों में डायनेमिक ऐसेट एलोकंशन फंड, मल्टी-ऐसेट एलोकेशन फंड, और आर्बिट्राज फंड शामिल हैं। क्वांटम एएमसी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी जिमी पटेल ने कहा, 'हाइब्रिड फंडों का फायदा यह है कि इनमें पोर्टफोलियो बाजार हालात के हिसाब से बदलते हैं और ये कर किफायती भी होते हैं। मौजूदा स्तरों पर बाजार में प्रवेश से परहेज कर रहे निवेशक हाइब्रिड फंडों और ऐसेट एलोकेशन फंडों को पसंद करते हैं।' हाइब्रिड फंड बाजार परिवेश के आधार पर इक्विटी और डेट योजनाओं के मिश्रण में निवेश करते हैं। जब इक्विटी बाजार का मूल्यांकन ऊंचा हो तो वे डेट और अन्य विकल्पों के लिए निवेश आवंटन बढ़ाते हैं। डेट के लिए आवंटन के बावजूद, एग्रेसिव हाइब्रिड और बैलेंस्ड हाइब्रिड जैसी श्रेणियों ने पिछले एक साल में 45 और 30 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है। एडलवाइस एमएफ ने एडलवाइस इक्विटी सेविंग फंड पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दूसरी लहर के परिणामस्वरूप केंद्रीय बैंक के सहयोगात्मक नजरिये को बढ़ावा मिलेगा। इस रिपोर्ट में कहा गया है, 'हलकी गिरावट के बाद उन क्षेत्रों में आय अपग्रेड की संभावना है जिनसे बाजार में तेजी को बढ़ावा मिल सकता है। इसलिए, कम जोखिम वाले निवेशक उतार-चढ़ाव का फायदा उठाने के लिए कम जोखिम वाले निवेशक इक्विटी सेविंग फंडों में निवेश कर सकते हैं।' दूसरी तरफ, इक्विटी फंडों ने दिसंबर-मई में 1,300 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की, क्योंकि बाजार के नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की वजह से निवेशकों ने लगातार मुनाफावसूली की। पिछले साल में, सेंसेक्स ने करीब 52 प्रतिशत का प्रतिफल दिया। न सिर्फ हाइब्रिड योजनाओं बल्कि इंडेक्स फंडां, ईटीएफ और फंड्स ऑफ फंड जैसी अन्य योजनाओं ने भी पिछले 5 महीनों में करीब 42,680 करोड़ रुपये का शुद्घ पूंजी प्रवाह दर्ज किया।
फंड हाउसों ने पैसिव और अंतरराष्ट्रीय फंडों में नई फंड पेशकशें (एनएफओ) लाने पर भी ध्यान दिया है, जिनसे ऐसी योजनाओं को अपनी परिसंपत्तियां बढ़ाने में भी मदद मिली है। अन्य योजनाओं की एयूएम मई में 3.55 लाख करोड़ रुपये पर दर्ज की गईं, जबकि दिसंबर 2020 में यह आंकड़ा 2.94 लाख करोड़ रुपये पर था। पटेल ने कहा, पिछले कुछ महीनों में हमने देखा है कि निवेशक पैसिव योजनाओं में निवेश पर विचार कर रहे हैं। इंडेक्स फंड यानी ईटीएफ की लागत ऐक्टिव फंडों के मुकाबले कम होती है और निवेशक इस श्रेणी की ओर आकर्षित हुए हैं। निवेशक लगातार लार्जकैप श्रेणी में ऐक्टिव फंडों के मुकाबले पैसिव फंडों को चुन रहे हैं क्योंकि कई ऐक्टिव फंडों का प्रदर्शन इक्विटी बाजारों से कमजोर रहा है।
हाल के हफ्तों में सोने की कीमतें दबाव में आई हैं, ऐसे में निवेश विशेषज्ञों ने कहा कि मध्यम से लंबी अवधि के नजरिये से यह अच्छा परिसंपत्ति वर्ग हो सकता है। जून में अंतरराष्ट्रीय सोने की कीमतें सात फीसदी फिसली हैं और विश्लेषकों ने कहा कि कीमती धातु ने अर्थव्यवस्था में सुधार में अवरोध, ब्याज दरों में संभावित बढ़ोतरी और क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता के अवरोध का सामना किया। बढ़त, महंगाई या अन्य घटनाक्रम को लेकर अनिश्चितता का मतलब यह है कि सोना ऐसी परिसंपत्ति है, जिसे निवेशक पूरी तरह से नकार नहीं सकते।
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