आर्थिक पुनरु द्धार से बढ़ेगी कर्ज की मांग | अभिजित लेले / July 04, 2021 | | | | |
बीएस बातचीत
कोविड-19 की दूसरी लहर का व्यक्तियों और परिवारोंं पर असर नजर आ रहा है। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन दिनेश खारा ने अभिजित लेले से बातचीत में कहा कि कोविड-19 व्यक्तिगत कर्ज शुरू किए जाने के 3 सप्ताह के भीतर बैंक ने करीब 400 करोड़ रुपये व्यक्तिगत ऋण दिए हैं। उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट की ओर से बमुश्किल कर्ज की मांग नजर आ रही है। बातचीत के प्रमुख अंश...
पहली तिमाही में कारोबार कैसा था? दूसरी लहर का कारोबार पर कितना असर पड़ा है?
मई और जून थोड़ा खराब था। निश्चित रूप से संग्रह में कठिनाई आई, क्योंकि नकदी का प्रवाह बाधित था, खासकर एसएमई में। यह चिंता का विषय था। सौभाग्य से रिजर्व बैंक पुनर्गठन दिशानिर्देशों और 50 करोड़ रुपये तक कर्ज लेने वाले पुनर्गठन के पात्र हैं और मेरे खयाल से इससे एसएमई क्षेत्र को जरूरी मदद मिल सकेगी। जून के दूसरे पखवाड़े में आर्थिक गतिविधियों में सुधार शुरू हुआ और कई राज्यों ने पूरी तरह लॉकडाउन में छूट दे दी। टीकाकरण बढऩे से लोगों का भरोसा बहाल करने में मदद मिलेगी, जिसकी अर्थव्यवस्था की बहाली में अहम भूमिका होगी।
पहली तिमाही में कर्ज में कितनी वृद्धि हो सकती है? कोविड लोन बुक में आप किस तरह की धारणा पाते हैं?
शुरुआती आंकड़ों से संकेत मिलते हैं कि खुदरा कर्ज में आकर्षण रहा है। लेकिन कॉर्पोरेट बुक में ज्यादा हलचल नहीं रही। हमने 3 योजनाएं पेश की हैं- पहली अस्पतालों में ऑक्सीजन क्षमता बढ़ाने व संबंधित बुनियादी ढांचे से जुड़ी है (संजीवनी), दूसरी, स्वास्थ्य संबंधी वातावरण तैयार करने को लेकर है (आरोग्य) और तीसरी, कोविड से प्रभावित लोगों के लिए व्यक्तिगत कर्ज की योजना है। व्यक्तिगत कर्ज योजना (कवच) के तहत हमने करीब 350 से 400 करोड़ रुपये कर्ज दिया है और यह महज 2-3 सप्ताह में हुआ है। जहां तक आरोग्य की बात है, हम अभी काम कर रहे हैं, लेकिन इसे लेकर कुछ आकर्षण दिख रहा है।
बैंक व उसकी दो सहायक इकाइयों के शेयर के भाव तेजी से बढ़े हैं। क्या बाजार अब असल मूल्य की पहचान कर रहा है?
बाजार से मिली प्रतिक्रिया थोड़ी उत्साहजनक है। इसके अलावा मैं कहना चाहता हूं कि मूल्यांकन बेहतर हो सकता है। कुछ ब्रोकरेज कंपनियां जिस लक्षित मूल्य का संकेत दे रही हैं, उत्साहजनक है। ऐसे में मुझे लगता है कि हम अपने सभी हिस्सेदारों के लिए मूल्य के सृजन करने की स्थिति में हैं और हम अपने निवेशकों का भरोसा भी हासिल करेंगे। बैंक व प्रबंधन बुनियादी सिद्धांतों का पालन कर रहे हैं कि बैलेंस सीट मजबूत बनी रहनी चाहिए।
जहां तक जनरल इंश्योरेंस इकाई का सवाल है, हम कंपनी की क्षमता बढ़ाकर कुछ निश्चित वृद्धि की कवायद कर रहे हैं। और कुछ समय में हम इस सहायक इकाई की सूचीबद्धता पर विचार करेंगे। म्युचुअल फंड इकाई के बारे में हमने एक संयुक्त उद्यम साझेदार बनाया है, इसलिए हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सूचीबद्धता के सवाल पर पूरी प्रक्रिया में उनसे तालमेल रहे। जब हम दोनों इस बात पर सहमत हो जाएंगे कि समय और आकार सही है, तब सार्वजनिक होने की योजना बनाएंगे।
जमा दरों के बारे में क्या कहना है?
जमा दरें नीतिगत दरों के मुताबिक तय होती हैं, जो रिजर्व बैंक का काम है। साथ ही अर्थव्यवस्था की वृद्धि भी उतनी ही अहम है। रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर केंद्रित है। इसलिए अगर वृद्धि पर ध्यान बना रहता है तो उधारी दर बढ़ाने की संभावना सीमित है। ऐसी स्थिति में जमा दर बढ़ाने की हमारी क्षमता बहुत सीमित है। इस समय महंगाई आपूर्ति से जुड़ी बाधाओं के कारण है और यह दिखाता है कि आपूर्ति शृंखला संतुलित नहीं है। मुझे लगता है कि अनलॉक के साथ आपूर्ति शृंखला सही होगी और महंगाई घटेगी।
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