इस साल इंजीनियरिंग सामानों के निर्यात मांग की संभावना मजबूत नजर आ रही है लेकिन शिपिंग कंटेनरों की लगातार हो रही अनुपलब्धता से सारा खेल बिगड़ सकता है। ऊपर से कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका भी जताई जा रही है। भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवद्र्घन परिषद (ईईपीसी) के कार्यकारी निदेशक सुरंजन गुप्ता ने कहा, 'माल भाड़े में तीन गुने की वृद्घि हो चुकी है और लोग उसे भी चुकाने के लिए तैयार हैं लेकिन इसके बावजूद कंटेनर मुहैया नहीं हो पा रहे हैं। निर्यात बाजार से जबरदस्त संकेत मिलने के बावजूद किसी को नहीं पता कि इस परिस्थिति से कैसे निपटा जाए।' ईईपीसी ने कहा कि प्रारंभिक आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत से इंजीनियरिंग सामनों का निर्यात लगातार बढ़ रहा है और इसमें इस साल जून में पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 52.61 फीसदी की वृद्घि हुई है। जून 2021 में भारत से किया जाने वाला व्यापारिक निर्यात 32.46 अरब डॉलर रहा जो जून 2020 के मुकाबले 7.34 फीसदी और जून 2019 के मुकाबले 29.7 फीसदी अधिक है। शिपिंग कंटेनरों की कमी का मामला कोविड-19 की पहली लहर के बाद जनवरी 2021 में निर्यार्तों में तेजी आने के साथ ही शुरू हो गया। उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि तब से इतने महीने बीत जाने के बावजूद स्थिति में सुधार आने की जगह यह कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण और अधिक खराब ही हुई है। गुप्ता ने कहा, 'भारत के पूर्वी तट पर कंटेनरों की गंभीर कमी है। अब केवल एक ही विकल्प नजर आ रहा है कि शिपिंग लाइन की कंपनियों से इन कंटेनरों की उपलब्धता के लिए आश्वासन लिया जाए।' हालांकि, उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 की दूसरी लहर कमजोर पड़ रही है और इसकी संभावित तीसरी लहर का व्यापार पर उतना अधिक असर पडऩे की आशंका नहीं है जितना कि पहली दो लहरों में पड़ा था। एक निर्यातक ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'केंद्र और राज्य दोनों सरकारें तीसरी लहर के लिए पहली दो लहरों के मुकाबले अधिक मजबूती से तैयार हैं।' वाइन पुर्जों, हाथ उपकरण, चिकित्सा उपकरण जैसे उत्पाद इंजीनियरिंग निर्यातों का हिस्सा थे। पिछले कुछ महीनों से इन उत्पादों की मांग यूरोप, अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात सहित अन्य देशों से अच्छी मात्रा में थी। ईईपीसी के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि इंजीनियरिंग सामानों के मांग में आई हालिया उछाल दबी हुई मांग और दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था के खुलने से इन सामानों की बढ़ी हुई उपयोगिता के कारण नजर आई है। गुप्ता ने कहा, 'विगत डेढ़ वर्षों के दौरान आई कोविड-19 की पहली दो लहरों में बड़ी संख्या में श्रमबल का मुद्दा खड़ा हुआ। आगामी महीनों में टीकाकरण बढऩे पर कुछ हद तक श्रम बल के मुद्दे का निराकरण होना चाहिए और जहां तक निर्यात की मात्रा का प्रश्न है तो अपेक्षाकृत कम आधार के कारण इसमें भी तेजी मजबूत नजर आएगी।'
