प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि सार्वजनिक वित्त के नए मॉडल के तहत राज्य सरकारों को 2020-21 में उनकी सालाना उधारी सीमा से ज्यादा कर्ज की अनुमति तभी होगी, जब वे कुछ तय सुधारों को लागू करें। उन्होंन कहा कि नए मॉडल में यह सुधारों का बेहतरीन उदाहरण है, जिसके तहत विश्वास व प्रोत्साहनों के साथ सुधार जुड़े होंगे। नौकरियों की तलाश वाली वेबसाइट लिंक्डइन पर पोस्ट किए गए एक ब्लॉग में मोदी ने कहा कि भारत ने चुपके से और मजबूरी में सुधार का मॉडल देखा है... यह विश्वास व प्रोत्साहनों के माध्यम से सुधार का नया मॉडल है। मोदी ने ब्लॉगपोस्ट में लिखा है, 'अतिरिक्त धन के एवज में प्रगतिशील राजनीति अपनाने के लिए यह राज्यों को एक प्रोत्साहन था। इस कवायद का परिणाम न सिर्फ उत्साहजनक है, बल्कि इस धारणा के विपरीत है कि मजबूत आर्थिक राजनीति को चाहने वाले सीमित हैं।' चार सुधारों का उदाहरण देते हुए मोदी ने कहा कि प्रत्येक सुधार को जीवन की सुगमता में सुधार से जोड़ा गया, जो खासकर अत्यंत गरीब और हाशिये पर खड़े लोगों और मध्य वर्ग के लिए था और साथ ही इससे राजकोषीय सततता को प्रोत्साहन मिला। इसके तहत राज्यों को 1 प्रतिशत अतिरिक्त उधारी का पात्र माना गया था। प्रधानमंत्री ने कहा, 'जन कल्याण के लिए पर्याप्त संसाधन जुटाना और सततता सुनिश्चित करना बड़ी चुनौतियों में से एक है।' उन्होंने कहा कि केंद्र-राज्य भागीदारी के माध्यम से 2020-21 में राज्यों को 1.06 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाने में मदद मिली है। मोदी ने कहा, 'इन सुधारों पर काम कर रहे अधिकारियों ने सुझाव दिया कि अतिरिक्त फंड के प्रोत्साहन के बगैर इन नीतियों को लागू करने में वर्षों लग जाएंगे।' एक देश, एक राशन कार्ड का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इसका मुख्य लाभ विस्थापित कामगारों को मिलेगा और वे देश में कहीं भी राशन ले सकेंगे। उन्होंने कहा, 'इस सुधार को 17 राज्यों ने पूरा कर लिया है और उन्हें 37,600 करोड़ रुपये अतिरिक्त उधारी दी गई है।'
