मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार से 3 जुलाई को रेनो-निसान संयंत्र का निरीक्षण करने के लिए कहा है ताकि यह पता चल सके कि वहां शारीरिक दूरी संबंधी मानदंडों का कितना अनुपालन किया जा रहा है। रेनो-निसान के श्रमिक यूनियन ने पिछले महीने मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर परिचालन पर फिलहाल रोक लगाने की गुहार लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि संयंत्र परिसर में शारीरिक दूरी संबंधी मानदंडों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है और कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए स्वास्थ्य लाभ उनके जीवन के लिए जोखिम के मुकाबले मामूली हैं। पिछले सप्ताह राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा फोर्ड, हुंडई और रेनो-निसान के संयंत्रों की समीक्षा की गई थी जिसमें कहा गया कि असेंबली लाइन में काम की प्रकृति शारीरिक दूरी को बनाए रखने के लिए चुनौती है। चेन्नई के समीप रेनो-निसान के संयंत्र में निसान की बहुलांश हिस्सेदारी है। इस बाबत जानकारी के लिए संपर्क करने पर निसान ने तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की। रेनो-निसान इंडिया के एक वकील ने अदालत से कहा कि कंपनी अगले महीने निरीक्षण से पहले राज्य के औद्योगिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य निदेशालय (डीआइएसएच) के अधिकारियों की ओर से जारी दिशानिर्देशों को लागलू करेगी। ये दिशानिर्देश फोर्ड और हुंडई सहित सभी का विनिर्माताओं पर लागू होते हैं। हालांकि अदालत ने कहा कि केवल रेनो-निसान के संयंत्र का निरीक्षण किया जाएगा क्योंकि अन्य वाहन विनिर्माताओं के श्रम संगठनों ने कोई आपत्ति नहीं जताई है। राज्य के औद्योगिक एवं स्वास्थ्य निदेशालय ने पिछले महीने अपनी समीक्षा में पाया कि संयंत्र में काम कर रहे हरेक चार में से तीन श्रमिकों का टीकाकरण नहीं हुआ था जबकि हरेक सात में एक श्रमिक वायरस से संक्रमित हुआ और 21 श्रमिकों की मृत्यु हुई। जिन दो जिलों में ये संयंत्र मौजूद हैं वहां के कुल संक्रमित मामलों में इन तीनों संयंत्रों के श्रमिकों की हिस्सेदारी 4 फीसदी से अधिक है। रेनो-निसान ने मंगलवार को कन्वेयर बेल्ट पर एक खाली स्लॉट रखने की प्रथा को बंद करने का निर्देश दिया था क्योंकि यह शारीरिक दूरी को बनाए रखने में प्रभावी नहीं पाया गया था। इससे कंपनी को अपना उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
