बीएस बातचीत आईसीआईसीआई म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी निमेश शाह ने चिराग मडिया के साथ साक्षात्कार में बताया कि भारत आकर्षक बना हुआ है, क्योंकि कंपनियां कर्ज-मुक्त हुई हैं, ऋण वृद्घि की रफ्तार सुस्त है, पूंजीगत खर्च में सुधार आना बाकी है, और मुनाफा-जीडीपी अनुपात भी ज्यादा नहीं है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत मुख्य अंश:डेट फंडों में संकट को देखते हुए पिछले वित्त वर्ष कितना चुनौतीपूर्ण था और उससे क्या सबक मिला? हमारा मानना है कि वर्ष 2020 के मुकाबले, 2017-18 ज्यादा चुनौतीपूर्ण अवधि थी और तब संबद्घ जोखिमों को ध्यान में रखे बगैर प्रतिफल के लिए प्रतिस्पर्धा थी। हम रिस्क-रिटर्न ट्रेड-ऑफ के अपने विश्लेषण पर आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया को बरकरार रखे हुए थे। इस अनुशासन की वजह से शायद हमें दूसरों द्वारा किए गए कई निवेश पर नुकसान देखना पड़ा, लेकिन इससे हमें पिछले साल दर्ज किए गए क्रेडिट घटनाक्रम से बचने में मदद मिली है। इनमें से कुछ जोखिमों के घटने की अपेक्षाकृत कम आशंका देखी जा सकती है, लेकिन यदि ये जोखिम होते हैं तो इनसे क्रेडिट निवेश के प्रदर्शन पर प्रभाव देखा जा सकता है। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल क्रेडिट रिस्क फंड में, हमने एकल निवेशक से निवेश पर सीमा तय की है। इस धारणा ने हमें अपने निवेशकों को शानदार अनुभव देने में सक्षम बनाया है। निवेशकों को एमएफ में निवेश को लेकर क्या रणनीति अपनानी चाहिए? पिछले साल के दौरान बाजार तेजी से बढ़े हैं, क्योंकि इसकी वजह से वे पिछले मूल्यांकन के आधार पर सस्ते नहीं दिख सकते हैं। हालांकि व्यावसायिक चक्र के नजरिये से, भारत आकर्षक बना हुआ है, क्योंकि कंपनियां कर्जमुक्त हुई हैं, ऋण वृद्घि काफी कम है, पूंजीगत खर्च में सुधार आना बाकी है और मुनाफा-जीडीपी अनुपात भी ज्यादा ऊपर नहीं है। वैश्विक रूप से सभी जोखिम संबंधित परिसंपत्तियां मजबूत हैं, जिनमें इक्विटी और जिंस मुख्य रूप से शामिल हैं। हमारा मानना है कि भविष्य में व्यवसाय चक्र में सुधार से कॉरपोरेट आय और मुनाफे में सुधार लाने में मदद मिल सकती है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, इक्विटी पर आशान्वित बने रहना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, बचत के वित्तीयकरण, निवेश में तेजी से ऊंचे घरेलू प्रवाह को बढ़ावा मिल रहा है। महामारी और वैश्विक वृद्घि में सुधार से संबंधित घटनाक्रम को देखते हुए रुक रुक कर पैदा होने वाली अनिश्चितता से इनकार नहीं किया जा सकता। संभावित अस्थिर बाजार से लाभ उठाने के विकल्प के तौर पर छोटे निवेशक के लिए उचित नजरिया बैलेंस्ड एडवांटेज या डायनेमिक ऐसेट आवंटन से संबंधित फंडों में निवेश करना होगा, जिनमें इक्विटी में निवेश निरंतर बदलाव के साथर प्रबंधित किया जाता है।एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) ने ऐक्टिव फंडों के मुकाबले बढ़त बनाई। क्या यह रुझान बरकरार रहेगा? भारत में पैसिव फंडों की वृद्घि काफी हद तक संस्थागत निवेशकों पर केंद्रित रही है। ज्यादातर खुदरा और अमीर निवेशक (एचएनआई) ऐक्टिव फंडों में अभी भी निवेश कर रहे हैं और हमारा मानना है कि यह रुझान बना रहेगा। जनवरी 2018 से तेजी के साथ निफ्टी के 10 शेयरों की मजबूती ने डायवर्सिफाइड ऐक्टिव फंडों को बेंचमार्कों को मात देना चुनौतीपूर्ण बना दिया है। अब केंद्रीय बैंक तरलता केंद्रित मुद्रास्फीति और आय वृद्घि के साथ हमें उम्मीद है कि अपने वाले दिनों में बाजार में तेजी काफी व्यापक होगी। इसके शुरुआती संकेत अक्टूबर 2020 से स्पष्ट दिखे हैं, जब निफ्टी-50 सूचकांक 37 प्रतिशत मजबूत हुआ, जबकि मिड-कैप और स्मॉल-कैप में 52 प्रतिशत तथा 62 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। जैसे ही यह तेजी मजबूत हुई है, हम ऐक्टिव फंडों के प्रति आवंटन में वृद्घि देख रहे हैं।हमने देखा है कि कुछ फंड हाउस पिछले कुछ वर्षों में सूचीबद्घ हुए। क्या आपने इस पर अमल करने की योजना बनाई है? सूचीबद्घ परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों के विकल्प में वृद्घि निवेश और कंपनी, दोनों के लिहाज से सकारात्मक है। सूचीबद्घ होने का निर्णय शेयरधारकों और उनके अधिकाराों पर निर्भर करता है, और इसलिए मैं इस बारे में टिप्पणी देना नहीं चाहूंगा।
