वित्तीय संकट से जूझ रही निजी क्षेत्र की प्रमुख विमानन कंपनी जेट एयरवेज ने अमेरिकी एक्जिम बैंक और यूरोपीयन एक्सपोर्ट क्रेडिट एजेंसी से कर्ज का भुगतान नए सिरे से तय करने (पुनर्गठन) के लिए संपर्क किया है। कंपनी ने 27 बोइंग और 8 एयरबस विमान खरीदने के लिए इनसे करीब 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। दरअसल, यात्रियों की घटती संख्या की वजह से वित्त वर्ष 2008-09 की शुरुआती तीन तिमाहियों में कंपनी का परिचालन घाटा बढ़कर 1237.34 करोड़ रुपये पहुंच गया है। इसकी वजह से कंपनी को कर्ज की पहली किस्त (1,200 करोड़ रुपये) का भुगतान करने में दिक्कत आ रही है। पहली किस्त में 900 करोड़ रुपये कर्ज की राशि शामिल है, जबकि 300 करोड़ रुपये का भुगतान ब्याज मद में करना है। कंपनी ने 4 से 5 फीसदी सालाना दर पर कर्ज लिया है। इसके साथ ही जेट ने भारतीय बैंकों से भी करीब 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। इनमें से 2,000 करोड़ रुपये पिछली दो तिमाहियों में परिचालन खर्च को पूरा करने के लिए कंपनी की ओर से लिया गया था। कुल मिलाकर कंपनी पर करीब 15,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जबकि कंपनी का नेटवर्थ 3063 करोड़ रुपये है। सूत्रों का कहना है कि यूएस एक्जिम बैंक 13 लाख डॉलर के कर्ज की अवधि बढ़ाई है। कंपनी को 12 साल के अंदर इस कर्ज का भुगतान करना है। कंपनी ने 10 बी777 एयरक्रॉफ्ट की खरीदारी की है, जिनमें से 6 एयरक्रॉफ्ट के लिए यूएस एक्जिम बैंक ने कर्ज दिया है। इसके साथ ही तीन यूरोपीयन बैंकों की ओर से 70 करोड़ डॉलर के कर्ज की अवधि को बढ़ाया जा सकता है, जो 10 एयरबस खरीदने के लिए लिया गया है। जानकारों का कहना है कि विमानन कंपनियों की ओर से आमतौर पर एयरक्रॉफ्ट खरीदने के लिए 85 फीसदी रकम संबंधित देशों के एक्जिम बैंक से लिया जाता है। जेट एयरवेज की कार्यकारी निदेशक सरोज दत्ता ने इस बात की पुष्टि की है कि कंपनी की ओर से कर्ज पुनर्गठन के लिए विभिन्न बैंकों से संपर्क किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि जेट के पास 87 विमानों को बेड़ा है, जिनमें से 30 विमान कंपनी के अपने हैं, जबकि 48 विमानों को लीज पर लिया गया है।
