टीका बनाने वाली भारत की दो कंपनियां- भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया- अपने कोविड-19 टीके को दूरदराज के क्षेत्रों तक डिलिवरी करने की लागत का खुद वहन करेंगी। सरकारी आपूर्ति के लिए इसका मतलब उनके संयंत्रों से राज्यों के कोल्ड चेन पॉइंट तक टीकों की आपूर्ति से है। निजी अस्पतालों के लिए इसका मतलब दरवाजे तक है। लॉजिस्टिक की लागत टीके की अंतिम कीमत में शामिल होगी विशेष तौर निजी क्षेत्र को आपूर्ति के लिए। भारत बायोटेक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'जब हम सरकार को आपूर्ति करते हैं तो हम राज्यों के कोल्ड चेन पॉइंट के लिए टीके की खुराक को डिस्पैच करते हैं। हरेक राज्य में एक से अधिक कोल्ड चेन पॉइंट होंगे। सरकार वहां से इसे हासिल कर कोविड टीकाकरण केंद्रों तक वितरण सुनिश्चित करती है।' पीटीआई के अनुसार, सरकार ने दूरदराज के क्षेत्रों और दुर्गम इलाकों में ड्रोन के जरिये कोविड-19 टीकों की आपूर्ति के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं। हालांकि निजी अस्पतालों के मामले में विशेष अस्पतालों तक आपूर्ति करनी होगी। उपरोक्त अधिकारी ने कहा, 'इसके लिए अस्पतालों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा। लॉजिस्टिक लागत उल्लेखनीय है लेकिन इसे अंतिम कीमत में ही समाहित किया गया है।' लॉजिस्टिक की लागत काफी हद तक मात्रा से निर्धारित होती है। टीका विनिर्माताओं का कहना है कि अस्पतालों को महज कुछ हजार खुराक की आपूर्ति करना एक चुनौती हो सकती है। भारत बायोटेक की तरह पुणे की एसआईआई के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है। भारत बायोटेक निजी अस्पतालों से कोवैक्सीन के लिए प्रति खुराक 1,200 रुपये और एसआईआई कोविशील्ड के लिए 600 रुपये लेती है। सरकार के लिए प्रति खुराक लागत 150 रुपये है।
