शेयर की कीमतों में तेज उछाल के बीच इक्विटी योजनाओं में मई में लगातार तीसरे महीने शुद्ध निवेश दर्ज हुआ। मई में कुल निवेश 10,083 करोड़ रुपये रहा, जो मार्च 2020 के बाद का सर्वोच्च आंकड़ा है। यह जानकारी म्युचुअल फंड उद्योग के संगठन एम्फी की तरफ से जारी आंकड़ों से मिली। बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि बाजार में तेजी और कोविड-19 महामारी के मामलों में कमी से खरीदारी का माहौल बना रहा। उन्होंने हालांकि कहा कि मूल्यांकन महंगे हो गए हैं और निवेशकों को परिसंपत्ति आवंटन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। मिरे ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी स्वरूप मोहंती ने कहा, दुर्भाग्य यह है कि निवेश हमेशा अल्पावधि के रिटर्न का पीछा करता है। पिछले एक साल का रिटर्न जितना ज्यादा होगा, निवेश उतना ही मजबूत होगा और यह एक बार फिर देखने को मिला है। इक्विटी बाजारों के प्रदर्शन ने पिछले एक साल में इक्विटी फंडों के रिटर्न को मजबूती दी है। लार्जकैप फंडों का औसत रिटर्न जहां पिछले एक साल में 54 फीसदी रहा है, वहीं मिड व स्मॉलकैप ने क्रमश: 78 फीसदी व 104 फीसदी रिटर्न दिया है। मार्च 2020 में इक्विटी फंडों ने 11,273 करोड़ रुपये का शुद्घ पूंजी प्रवाह आकर्षित किया था, क्योंकि निवेशकों ने बाजार में भारी गिरावट का लाभ उठाने की कोशिश की। तब से हालांकि यह प्रवाह हाल तक कमजोर बना रहा। जुलाई 2020 और फरवरी 2021 के बीच, इक्विटी फंडों ने करीब 46,800 करोड़ रुपये की निकासी दर्ज की, भले ही बाजार ने नई ऊंचाइयों को छुआ था। यह रुझान पिछले तीन महीने में बदला और इक्विटी फंडों ने मार्च से 22,600 करोड़ रुपये का पूंजी प्रवाह दर्ज किया। इक्विटी-आधारित बचत योजनाओं (ईएलएसएस) को छोड़कर इक्विटी फंडों की लगभग सभी श्रेणियों ने पूंजी प्रवाह आकर्षित किया। ईएलएसएस से 290 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की गई। स्मॉलकैप, मिडकैप जैसी श्रेणियों, फोकस्ड और सेक्टोरल फंडों ने 1,000-1,000 करोड़ रुपये से अधिक का शुद्घ प्रवाह दर्ज किया। मल्टी-कैप फंडों ने इक्विटी श्रेणी में 1,954 करोड़ रुपये का सर्वाधिक पूंजी प्रवाह आकर्षित किया। उद्योग की शुद्घ एयूएम 33 लाख करोड़ रुपये को पार कर गई, जिसे इक्विटी परिसंपत्तियों में आई तेजी से मदद मिली। इक्विटी एयूएम 7.7 प्रतिशत बढ़कर 10.7 लाख करोड़ रुपये दर्ज की गई। मई में, सेंसेक्स 6.5 प्रतिशत चढ़ा, जबकि बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में 7.1 प्रतिशत और 8.9 प्रतिशत की तेजी आई। अप्रैल के मुकाबले मई में एसआईपी के जरिये भी निवेश बढ़ा। मई में एसआईपी का योगदान 8,819 करोड़ रुपये रहा, जो अप्रैल में 8,590 करोड़ रुपये था। एसआईपी एयूएम बढ़कर 4.67 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। फंड्सइंडिया के शोध प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, 'कम खर्च की वजह से पिछले साल ज्यादा बचत करने वाले निवेशक अब धीरे धीरे निवेश की ओर लौट रहे हैं।' डेट-केंद्रित योजनाओं में करीब 44,512 करोड़ रुपये की शुद्घ निकासी दर्ज की गई और इसे लिक्विड तथा ओवरनाइट फंडों में हुई भारी बिकवाली से बढ़ावा मिला। बाजार कारोबारियों का कहना है कि निकासी काफी हद तक ऐसे फंडों द्वारा दिए गए कमजोर प्रतिफल की वजह से देखी गई। पिछले साल, इन फंडों ने तीन प्रतिशत के दायरे में प्रतिफल दिया था। मई में, लिक्विड और ओवरनाइट फंडों से 45,447 करोड़ रुपये और 11,573 करोड़ रुपये की बिकवाली दर्ज की गई। मॉर्निंगस्टार इंडिया में सहायक निदेशक- शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव का मानना है कि कंपनियों और व्यवसायों द्वारा अपनी व्यावसायिक जरूरतों के लिए इन फंडों से अपनी अल्पावधि पूंजी निकाले जाने की वजह से भी बिकवाली को बढ़ावा मिला। कॉरपोरेट बॉन्ड फंडों, शॉर्ट-ड्यूरेशन फंडों, और बैंकिंग एवं पीएसयू डेट फंडों में भी शुद्घ निकासी दर्ज की गई।
