बीएस बातचीत
सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नैशनल बैंक को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक की पुनर्गठन सुविधा-2 के तहत 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये के कर्ज का पुनर्गठन होगा। बैंक के प्रमुख एसएस मल्लिकार्जुन राव ने निकुंज ओहरी और अभिजित लेले से बातचीत में कहा कि कोविड-19 का असर कम होने पर दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी। संपादित अंश...
कोविड-19 की दूसरी लहर कितनी गंभीर है? इसका वित्त वर्ष 21 की पहली तिमाही पर कितना असर पडऩे जा रहा है?
कोविड-19 की दूसरी लहर का ज्यादा असर खुदरा और एमएसएमई क्षेत्र पर पड़ा है, जहां कॉर्पोरेट की तुलना में छोटे आकार के कर्ज हैं। कॉर्पोरेट सेक्टर पर कोविड-19 की पहली लहर का असर ज्यादा था और उसी के मुताबिक पुनर्गठन किया गया था। बैंक बड़ी मात्रा में कर्ज के पुनर्गठन का अनुमान लगा रहे थे, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हुआ। दूसरी लहर ने एमएसएमई पर और असर डाला। ऐसे में खुदरा संग्रह प्रभावित रहा है। मई मेंं संग्रह में सुधार हुआ और जून में यह और बेहतर होगा। हम उम्मीद कर रहे हैं कि पुनर्गठन-2 के तहत 5,000 करोड़ रुपये से 6,000 करोड़ रुपये तक कर्ज का पुनर्गठन होगा।
क्या महामारी की वजह से मध्यावधि योजनाओं पुनर्विचार करना पड़ रहा है?
हम उम्मीद कर रहे हैं कि कोविड-2.0 का असर लंबा नहीं चलेगा और जून के अंत से कम होना शुरू हो जाएगा। हम अपनी रणनीति नहीं बदल रहे हैं, जो अक्टूबर, 2020 में मार्च, 2023 तक के लिए तय की गई है। वित्त वर्ष 21 बैंकों के लिए समेकन का वर्ष था। अगर 2021-22 में कारोबार में वृद्धि की उम्मीद देख रहे हैं, भले ही पहली तिमाही प्रभावित हुई है। हम 2021-22 के लिए अपने अनुमान में बदलाव नहीं कर रहे हैं, जून तिमाही के परिणाम की घोषणा के समय हम एक बार फिर स्थिति का आकलन करेंगे। 2021-22 के दौरान कर्ज की वृद्धि दर 8 प्रतिशत रखने का लक्ष्य है।
बैंक की प्राथमिकताएं क्या है?
बैंक विचार कर रहा है कि आतिथ्य, पर्यटन और उड्डयन उदद्योग को किस तरह से धन मुहैया कराया जा सकता है। मध्यावधि के हिसाब से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों पर ध्यान देना होगा, वर्ना समस्या दीर्घकालीन हो जाएगी। ऐसे में मध्यावधि के हिसाब से हमारी योजना सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों और एमएसएमई पर होगी।
दुनिया के कई इलाके खुल रहे हैं, कारोबार के हिसाब से इसका क्या मतलब होगा?
दुबई और हॉन्गकॉन्ग में संभावनाएं दिख रही हैं। बैंक का ध्यान निर्यात में लगे ग्राहकों पर केंद्रित है और उन्हें समर्थन देगा, जिससे कि उन्हें भारत से निर्यात के लिए जो भी ऑर्डर मिलें, वह उसे मूर्त रूप दे सकें।
हाल में सरकार ने आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना में बदलाव किया है। क्या इस योजना के तहत आवंटन में बढ़ोतरी की जरूरत है?
ईसीएलजीएस के तहत अग्रिम ऋण की सीमा खत्म किए जाने के साथ ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों जैसे उड्डयन उद्योग को कर्ज देने का बेहतर अवसर है। पीएनबी ने योजना के तहत 12,700 करोड़ रुपये कर्ज दिया है। इसके अलावा 500 करोड़ रुपये से ज्यादा देने की प्रक्रिया चल रही है। अभी भी इस योजना के तहत पर्याप्त संभावना है।
रिजर्व बैंंक ने नीतिगत रीपो दरों में बदलाव नहीं किया है? बाजार की दिलचस्पी कब बदलेगी?
नीतिगत दर यथावत रहने की उम्मीद थी। हर बैंक के पास पर्याप्त नकदी है। रिजर्व बैंक ने महंगाई दर 5 प्रतिशत होने संबंधी दिशानिर्देश दिए थे, जिसे अब 5.1 प्रतिशत कर दिया गया है। बॉन्ड प्रतिफल की लागत नियंत्रण में रखने की जरूरत है, जिससे सरकार की उधारी की लागत ज्यादा न हो। कम से कम जब तक अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आ जाती, नीतिगत दरों में बदलाव की उम्मीद न करें, बशर्ते महंगाई न बढ़े।
पीएनबी हाउसिंग फाइनैंस इक्विटी पूंजी जुटा रहा है, लेकिन बैंक उसमें हिस्सा नहीं ले रहा है। क्या बैंक निष्क्रिय निवेशक के रूप में काम करेगा? क्या आप भविष्य में हिस्सेदारी कम करेंगे?
पीएनबी हाउसिंग में बैंक की हिस्सेदारी 32.62 प्रतिशत है और नियामकीय निर्देशों के मुताबिक हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से कम होनी चाहिए। इसके पहले पीएनबी ने हिस्सेदारी कम नहीं की थी क्योंकि कीमत ज्यादा नहींं थी। पीएनबी प्रवर्तक बना रहेगा और उसके 2 निदेशक बोर्ड में हैं। पीएनबी भविष्य में न तो कोई हिस्सेदारी बेचेगा और न ही कोई हिस्सेदारी बेचने की कवायद करेगा। निवेशकों की पूंजी से हमारी हिस्सेदारी कम हो रही है।
एनएआरसीएल कब काम शुरू करेगा? पीएनबी की इसमें कितनी हिस्सेदारी है?
पीएसबी की बैड बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी और बहुसंख्य पीएसबी ने 10 प्रतिशत हिस्सेदारी को मंजूरी दे दी है, जिसकी वजह से नियामकीय मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। पीएनबी की भी 10 प्रतिशत से कम कम हिस्सेदारी होगी।
मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण से क्या कोई मदद मिलेगी?
सीबीआई बेहतर काम कर रही है। नीरव मोदी के मामले में भी सीबीआई के वकील ब्रिटेन के न्यायालयों को दस्तावेज दे रहे हैं, जिससे उसका प्रत्यर्पण हो सके और यह अंतिम चरण में है। इसका भावनात्मक असर ज्यादा होगा। अगर प्रत्यर्पण के बाद पूछताछ होती है तो ज्यादा स्रोतों से वसूली की संभावना बनेगी।