महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को राज्य के निजी अस्पतालों में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के रोगियों के उपचार के संबंध में शुल्क की सीमा तय कर दी है। इसके इलाज के नाम पर अब अस्पताल मनमानी दर से शुल्क नहीं ले सकेंगे। महाराष्ट्र के शहरों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है और श्रेणी के हिसाब से ही इलाज का खर्च तय किया गया है। आधिकारिक तौर पर इस समय राज्य में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या पांच हजार से अधिक हो गई है। ब्लैक फंगस के इलाज में मनमानी दर से शुल्क वसूल रहे अस्पतालों की शिकायत को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने इलाज में होने वाले खर्च की सीमा तय कर दी। राज्य के शहरों को ए, बी और सी तीन श्रेणियों मे बांटकर वहां के अस्पतालों में इलाज का खर्च सरकार ने तय किया है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इस आशय की एक अधिसूचना जारी की, जिसमें बंबई पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम, 1950 के तहत पंजीकृत सभी धर्मार्थ अस्पतालों को म्यूकरमाइकोसिस रोगियों का इलाज करते समय इस शुल्क सीमा का पालन करने के लिए कहा गया है। इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार ने म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस के उपचार के लिए 28 प्रकार की सर्जरी चिह्नित की हैं। अधिसूचना में कहा गया है कि तीसरी श्रेणी के शहरों में सर्जरी का न्यूनतम शुल्क लगभग छह हजार रुपये तय किया गया है और यह क्षेत्र व इलाज की जटिलता के आधार पर एक लाख रुपये तक बढ़ सकता है। अधिसूचना में क्षेत्र और उपचार के प्रकार के अनुसार शुल्क का उल्लेख किया गया है। ए (अ) वर्ग श्रेणी के शहर में सामान्य बेड या आइसोलेशन (प्रथकवास) के लिए हर दिन 4,000 रुपये, बिना वेंटिलेटर वाले आईयूसी के लिए रोजना 7,500 रुपये और वेंटिलेटर सहित आईसीयू बेड के लिए रोज 9,००० रुपये तक की सीमा तय की गई है। बी (ब )वर्ग श्रेणी के शहर में सामान्य बेड या आइसोलेशन (प्रथकवास) के लिए हर दिन 3,000 रुपये, बिना वेंटिलेटर वाले आईयूसी के लिए रोजना 5,500 रुपये और वेंटिलेटर सहित आईसीयू बेड के लिए रोज 6,700 रुपये तक की सीमा तय की गई है। सी (क) वर्ग श्रेणी के शहर में सामान्य बेड या आइसोलेशन (प्रथकवास) के लिए हर दिन 2,400 रुपये, बिना वेंटिलेटर वाले आईयूसी के लिए रोजना 4500 रुपये और वेंटिलेटर सहित आईसीयू बेड के लिए रोज 5,400 रुपये तक की सीमा तय की गई है। सरकार द्वारा निर्धारित दरों में अस्पताल का शुल्क, डॉक्टरों की फीस और दवा का खर्च शामिल है हालांकि इसमें पीपी किट शामिल नहीं है। सरकार ने निजी अस्पतालों को ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए दस फीसदी बेड आरक्षित करने के निर्देश दिये हैं। ए वर्ग के शहरों में मुंबई और मुंबई महानगरीय क्षेत्र, पुणे एवं पुणे महानगरीय क्षेत्र, नागपुर (नागपुर मनपा, दिगडोह, वाडी) को रखा गया है। बी वर्ग के शहरों में नाशिक, अमरावती, औरंगाबाद, भिवंडी, सोलापुर, कोल्हापुर, वसई विरार, मालेगाव, नांदेड, सांगली और राज्य के सभी जिला मुख्यालय शामिल हैं। ए और बी श्रेणी में जो शहर शामिल नहीं है वह सभी सी श्रेणी के दायरे में रखे गए हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि सरकार की तरफ से जो अधिसूचना जारी की गई है, वह आज से 31 जुलाई, 2021 तक लागू रहेगी। जन स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सुधाकर शिंदे ने कहा कि मुंबई, पुणे, नागपुर जैसे मेट्रो शहरों में कुछ बहु-विषयक निजी अस्पताल हैं, जहां मस्तिष्क, नाक, आंख, कान, और अन्य के विशेषज्ञ म्यूकरमाइकोसिस के मामलों की देखरेख के लिए उपलब्ध हैं। ऐसे अस्पतालों को आमतौर पर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कहा कि यदि कोई मरीज ऐसे अस्पतालों में इलाज कराना चाहता है, तो आमतौर पर इसका शुल्क बहुत अधिक होता है। लेकिन इस अधिसूचना के जरिये अब शुल्क की सीमा तय कर दी गई है और मरीज ऐसे अस्पतालों में भी इलाज करा सकते हैं।
