विधानसभा चनावों से पहले ही उत्तर प्रदेश में पाला बदलने का खेल शुरु हो गया है। गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने विधानमंडल दल के नेता लालजी वर्मा और एक अन्य विधायक रामअचल राजभर को निष्कासित कर दिया है। दोनो बसपा से अंबेडकर नगर जिले से विधायक हैं। मायावती ने इन दोनो नेताओं को निकालते हुए उन पर पंचायत चुनावों में पार्टी प्रत्याशियों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया है। लालजी वर्मा पूर्व में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। लालजी वर्मा के निष्कासन के साथ ही बसपा सुप्रीमो मायावती ने आजमगढ़ के विधायक शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को विधानमंडल दल का नेता बना दिया है। गुड्डू जमाली बसपा के टिकट पर दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। वह इससे पहले 2014 में आजमगढ़ लोकसभा सीट से बसपा प्रत्याशी भी रहे हैं। माना जा रहा है कि बसपा से गुरुवार को निकाले गए ये दोनो कद्दावर नेता समाजवादी पार्टी का दामन थाम सकते हैं। बसपा के एक बड़े नेता के मुताबिक लालजी वर्मा और रामअचल राजभर की बातचीत कई दिनों से सपा में चल रही थी और इसकी खबर मिलते ही मायावती ने उन्हें निकालने का फैसला ले लिया। गौरतलब है इससे पहले राज्यसभा चुनावों के दौरान बसपा के सात विधायकों ने पाला बदल लिया था। उस समय सपा के साथ मिलीभगत रखने के आरोप में मायावती ने विधायक असलम राइनी, असलम अली, विधायक मुजतबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद, विधायक हरगोविंद भार्गव, सुषमा पटेल के साथ विधायक वंदना सिंह को निलंबित कर दिया था। उस समय भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लडऩे को लेकर नाराज इन विधायकों ने बसपा के राज्यसभा प्रत्याशी रामजी गौतम का नामांकन वापस ले लिया था। इन विधायकों ने रामजी गौतम के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर किए थे जिसे बाद में वापस लेने की अर्जी दे दी थी। हालांकि भाजपा की मदद से बसपा एक राज्यसभा सीट जीतने में कामयाब हो गयी थी। गुरुवार के निष्कासन के बाद विधानसभा में अब बसपा के कुल 9 विधायक ही बचे हैं।
