पुणे के समीप पहाड़ी पर टाउनशिप बना रही कंपनी लवासा कॉरपोरेशन की दिवालिया प्रक्रिया ऋणदाताओं ने बंद कर दी है क्योंकि उन्हें संकटग्रस्त कंपनी के लिए अच्छी बोलियां ही नहीं मिल पाईं। इस कंपनी में ऋणदाताओं का करीब 7,700 करोड़ रुपये का कर्ज फंसा है। उनका कहना है कि कंपनी के लिए फिर बोलियां मंगाने की कोशिश की जाएगी। बैंकिंग उद्योग के एक सूत्र ने बताया कि राष्ट्रीय कंपनी विधि पंचाट (एनसीएलटी) ने लवासा कॉरपोरेशन और उसकी सभी सहायक इकाइयों के खिलाफ दिवालिया की सभी कार्यवाहियां एक साथ करने के लिए कहा है, इसलिए नए सिरे से बोलियां मंगाई जाएंगी। एचसीसी की सहयोगी कंपनी लवासा को 2018 में दिवालिया प्रक्रिया के लिए भेजा गया था और आईबीसी 2016 के तहत समाधान पूरा करने की तय समय सीमा पहले ही खत्म हो चुकी है। निजी क्षेत्र के ऋणदाता ऐक्सिस बैंक ने लवासा पर सबसे ज्यादा 1,266 करोड़ रुपये का दावा किया है। भारतीय स्टेट बैंक ने भी उसे कर्ज दिया था। लवासा कॉरपोरेशन का गठन वर्ष 2000 में किया गया था। कंपनी ने महाराष्ट्र में पुणे के नजदीक एक खूबसूरत पहाड़ी पर यह टाउनशिप बनाई थी। लेकिन पर्यावरण मंत्रालय ने 2010 में परियोजना पर काम बंद करने का आदेश दे दिया, जिसके बाद कंपनी बैंकों का कर्ज नहीं चुका सकी और भुगतान में चूक करने लगी। रही-सही कसर कोरोना महामारी ने पूरी कर दी, जिसकी वजह से लवासा शहर में कुछ होटल बंद पड़े हैं। पहले सप्ताहांत पर आसपास के इलाकों से लोग यहां घूमने आते थे मगर महामारी के कारण सैलानी भी नहीं आते हैं। महामारी को देखते हुए बोलीदाताओं ने लवासा के लिए काफी कम बोली लगाई।
