ब्रिटेन की दवा कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन (जीएसके) और नैसडेक सूचीबद्ध वीर बायोटेक्नोलॉजी को 12 साल से ज्यादा उम्र वाले कोविड के सामान्य मरीजों के इलाज में काम आने वाली दवा मोनोक्लोनल एंटीबॉडी सोटरोविमैब के लिए मंजूरी मिल गई है। जीएसके इंडिया के प्रवक्ता ने कहा कि वह भारतीय मरीजों को यह दवा जल्द उपलब्ध कराने के लिए हर तरह का विकल्प तलाश रहे हैं। प्रवक्ता ने हालांकि इस दवा की कीमत के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। अगले कुछ हफ्तों में यह दवा अमेरिका में उपलब्ध होगी। जीएसके ने कहा, दूसरे देशों में इस दवा को लेकर नियामकों से मंजूरी लेने पर बातचीत हो रही है। हाल में सिप्ला ने रोशे एंटीबॉडी कॉकटेल (कासरिविमैब और इम्डेविमैब) भारत में कोविड के इलाज के पेश की है, जिसकी कीमत प्रति मरीज 60,000 रुपये रखी गई है। सोटरोविमैब के इस्तेमाल से कोविड मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने या उच्च जोखिम वाले वयस्कों की मौत का जोखिम 85 फीसदी तक कम हो जाता है, जो फेज-3 कोमेट-आईस ट्रायल के अंतरिम नतीजे पर आधारित है। विट्रो के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि सोटरोविमैब कोरोना के विभिन्न तरह के वायरस पर कारगर है, जिसमें भारतीय वैरिएंट बी.1.617 शामिल है। इस थेरेपी की सिफारिश हालांकि अस्पताल में भर्ती कोविड के मरीजों के लिए नहीं की गई है। यूएसएफडीए ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है, कोविड-19 के इलाज में इस थेरेपी की सुरक्षा व प्रभावोत्पादकता को लेकर लगातार आकलन हो रहा है। वीर बायोटेक्नोलॉजी के मुख्य कार्याधिकारी जॉर्ज स्कैंगोज ने कहा, हमारे अलग तरह के वैज्ञानिक तरीके से एकल मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार हुआ है, जिसके बारे में अंतरिम विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि यह अस्पताल मेंं भर्ती कराने या मौत की संभावना को 85 फीसदी तक घटाता है।
