जब मुंबई के अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के लिए बेड की कमी दिख रही थी तो एक कंपनी की तकनीक अस्पतालों के बेड आवंटित करने और यह फैसला करने में बड़ी मदद कर रही थी कि सामान्य, ऑक्सीजन वाले या आईसीयू बेड में से क्या दिया जाए। इससे कोरोना मरीजों के परिजनों को मरीज के साथ एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकना नहीं पड़ा। इस कंपनी का नाम ईएसआरआई टेक्नोलॉजीज है, जो एंड टु एंड जियोस्पेशियल इन्फॉर्मेशन (जीएसआई) तकनीक में दुनिया की दिग्गज कंपनियों में शुमार है। कोविड के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में अपनी कामयाबी से उत्साहित ईएसआरआई स्वास्थ्य क्षेत्र के अपने कुछ प्रयोगों पर राज्य सरकारों और केंद्र सरकार से बात कर रही है। कंपनी चाहती है कि महामारी के कारण उपजी समस्याओं जैसे अस्पतालों में ऑक्सीजन स्तर पर नजर रखने, ऑक्सीजन टैंकरों की आवाजाही की निगरानी, अस्पतालों में बेड की किल्लत पर नजर रखने तथा देश भर के टीकाकरण केंद्रों को संभालने में उसकी उपग्रह आधारित प्रणाली का इस्तेमाल किया जाए। ईएसआरआई इंडिया के प्रबंध निदेशक अगेंद्र कुमार ने कहा, 'हमारा प्लेटफॉर्म राज्य, जिले और अस्पताल में ऑक्सीजन की उपलब्धता पर नजर रख सकता है। चूंकि हर अस्पताल का निश्चित पता होता है, इसलिए उसको जियो कोड दिया जा सकता है। हम मांग और संभावित किल्लत का अनुमान लगा सकते हैं। हम अपनी जीआईएस प्रणाली के जरिये ऑक्सीजन टैंकरों पर नजर रख सकते हैं और उन्हें अस्पताल की जरूरत से जोड़ सकते हैं। ये प्रणाली महज कुछ दिनों में बनाई जा सकती हैं। हमारा प्लेटफॉर्म मुंबई में बेड के आवंटन में इस्तेमाल किया जा रहा है।' कुमार कहते हैं कि उनकी तकनीक के जरिये टीकाकरण का प्रबंधन ज्यादा वैज्ञानिक तरीके से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों के पास हरेक ब्लॉक और शहर में आबादी, लोगों की उम्र एवं आबादी की सघनता का ब्योरा होता है। कुमार ने कहा, 'इन सूचनाओं के आधार पर यह फैसला लिया जा सकता है कि आपको किसी क्षेत्र में किस आयु समूह के लिए कितने टीकाकरण केंद्रों की जरूरत होगी। यह भी पता किया जा सकता है कि कितने लोगों का टीकाकरण हो चुका है।' इतना ही नहीं, यह तकनीक कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग यानी किसी के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने में भी मददगार हो सकती है। कुंभ मेले का उदाहरण देते हुए कुमार कहते हैं कि सरकार के पास उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर उनकी तकनीक पता लगा सकती है कि किसी शहर (माना कि कानपुर) से कितने लोग आए। अगर यह आंकड़ा बड़ा है तो उनके बीमारी से संक्रमित होने और कानपुर में उसे फैलाने के ज्यादा आसार हैं। इसलिए प्रशासन को सतर्क कर दिया जाएगा।
