टर्म प्लान को लेकर बीमाकर्ता सचेत | सुब्रत पांडा / मुंबई May 19, 2021 | | | | |
कोविड की दूसरी लहर के बाद विशेष तौर पर उपजी अनिश्चितता के माहौल ने जीवन बीमाकर्ताओं को अपने टर्म प्लान के संबंध में कुछ जोखिमों की कीमत को लेकर सचेत कर दिया है। इसके कारण से उन्होंने जोखिम अंकन के अपने नियमों को कड़े कर दिए हैं और कोविड से ठीक हुए मरीजों के लिए कम से कम तीन महीने के लिए उनके टर्म प्लान अनुरोध को विलंबित कर रहे हैं।
टर्म प्लान में छोटी सी प्रीमियम पर किसी व्यक्ति के जीवन को मोटी रकम वाली कवर के लिए बीमा किया जाता है। बीमाकर्ता इसके बदले में इन जोखिमों का पुनर्बीमाकर्ताओं से बीमा कराते हैं जो ऐसी पेशकशों के लिए कीमत और जोखिम अंकन नियमों का निर्धारण करते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि जब कभी कोई नया रोग आता है, जोखिम अंकन के दौरान बीमाकर्ता या तो अतिरिक्त चिकित्सा जांचों की मांग करते हैं या फिर मौजूदा प्रस्ताव को विलंबित कर देते हैं और वर्षों से दुनिया भर में यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है। भारतीय जीवन बीमाकर्ताओं ने मौजूदा कोविड संकट के दौरान उसी प्रोटोकॉल को लागू किया है। अधिकांश बीमाकर्ताओं ने ऐसा दूसरी लहर के बाद किया है। कुल मिलाकर पुनर्बीमाकर्ता सचेत हो गए हैं जिसके कारण जोखिम अंकन ग्राहक के दृष्टिïकोण से अधिक कड़ा हो गया है।
स्वास्थ्य पॉलिसियों के लिए भी सामान्य और एकल स्वास्थ्य बीमाकर्ताओं ने कोविड से उबर चुके मरीजों के लिए प्रतीक्षा अवधि लागू की है जिसके पहले वे स्वास्थ्य पॉलिसी लेने के पात्र नहीं होंगे। यह अवधि बीमाकर्ताओं ने अलग अलग तय किए हैं। कुछ के लिए अवधि 45 दिन है तो कुछ ने इसे 90 दिनों का रखा है।
इंडिया फस्र्ट लाइफ इंश्योरेंस में उप मुख्य कार्याधिकारी रुशभ गांधी ने कहा, 'यदि किसी ग्राहक ने खुद को कोविड पॉजीटिव घोषित किया है तो उनके लिए हमारी विलंबन अवधि कोविड से ठीक होने के उपरांत तीन महीने की है। यह अवधि बीतने के बाद हम ग्राहक से कुछ रिपोर्ट साझा करने के लिए कहते हैं या ग्राहक के स्वास्थ्य की जांच के लिए हम कुछ चिकित्सा जांच करा सकते हैं। यदि जांच की रिपोर्ट ठीक आती है तो हम पॉलिसी जारी करते हैं। यह नीति टर्म और गैर-टर्म प्लान दोनों के लिए अपनाई जाती है। यदि कोई ग्राहक कोविड से संक्रमित नहीं हुआ है तो मौजूदा जोखिम अंकन दिशानिर्देंशों में कोई बदलाव नहीं किया जाता है।'
बजाज आलियांज लाइफ में नियुक्त बीमांकक अवधेश गुप्ता ने कहा कि हाल में ठीक हुए कोविड मरीजों के लिए हमारे पास तीन महीने की स्थगन अवधि है जिसके बाद वे टर्म प्लान के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्थगन अवधि के बीत जाने के बाद ऐसे ग्राहकों से कोई भी अनुरोध चिकित्सा जांचों के साथ ली जाएगी। औद्योगिक स्तर पर उभरते अनुभव के आधार पर जोखिम अंकन मानकों को थोड़ा कड़ा किया गया है जैसे कि खुलासा फॉर्म में कोविड संबंधी प्रश्न पूछे जाते हैं।
कोविड की दूसरी लहर और देश में हो रही मौतों के संदर्भ में इससे जो संकट पैदा हुआ है उसको देखते हुए कई सारे बीमाकर्ताओं ने अपने जोखिम अंकन मानकों को भी कड़ा बना दिया है। कुछ बीमाकर्ताओं ने टर्म प्लान लेने के लिए आवश्यक आमदनी की शर्त को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया है तो वहीं कुछ ने पॉलिसी लेने के लिए ग्राहक की शारीरिक चिकित्सा को अनिवार्य किया है।
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