राघवेंद्र कामत और शैली सेठ मोहिले / मुंबई May 16, 2021
अमेरिकी निजी इक्विटी दिग्गज वारबर्ग पिनकस ने छात्र आवास और को-लिविंग स्पेस के लिए लेमन ट्रीम होटल्स के साथ अपने दो वर्ष पुराने संयुक्त उपक्रम समझौते को समाप्त कर दिया है। इस घटनाक्रम से अवगत सूत्रों का कहना है, 'माना जा रहा है कि वारबर्ग इस संयुक्त उपक्रम का आकार बढ़ाए जाने को लेकर उत्साहित नहीं थी।'
सूत्रों ने कहा कि लेमन ट्री प्रर्वतकों ने वारबर्ग से हिस्सेदारी पुन: खरीदी है। उनका कहना है कि कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक राहुल पंडित ने भी कंपनी छोड़ दी है। लेमन ट्री में वारबर्ग शुरुआती निवेशक थी। वर्ष 2018 में वारबर्ग कंपनी के आईपीओ के दौरान लेमन ट्री होटल्स में अपनी 12 प्रतिशत हिस्सेदारी और उसके एक साल बाद शेष 12.4 प्रतिशत हिस्सेदारी से बाहर हो गई थी।
हाल में वारबर्ग ने गोल्डमैन सैक्स समर्थित छात्र आवास कंपनी गुड होस्ट स्पेसेंज से एचडीएफसी में 24.48 प्रतिशत हिस्सेदारी 216 करोड़ रुपये में खरीदी है। जब इस बारे में लेमन ट्री होटल्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक पाटू केसवानी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, 'को-लिविंग व्यवसाय से संबंधित सभी योजनाएं टाल दी गई हैं और एक साल बाद इन पर पुनर्विचार किया जाएगा। यह मुद्दा अब उठाया गया है और अतिरिक्त निवेश नहीं किया जा रहा है।'
उन्होंने कंपनी में निवेशकों की स्थिति को लेकर किसी तरह की प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। केसवानी ने कहा, 'मैं इस समय यह कह सकता हूं कि यह हमारी प्राथमिकता सूची से काफी दूर है। महामारी घटने के बाद वृहद रुझानों पर नजर रखे जाने की जरूरत होगी।'
वारबर्ग ने वर्ष 2018 में लेमन ट्री होटल्स के साथ संयुक्त उपक्रम बनाया था, जिसने छात्र और युवा कामकाजी पेशेवरों के लिए रहने की सुविधा विकसित करने के लिए 3,000 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई है। इस संयुक्त उपक्रम वारबर्ग की 68 प्रतिशत, जबकि लेमन ट्री की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी थी। शेष दो प्रतिशत स्वामित्व लेमन ट्री के केसवानी का था। सूत्रों का कहना है, 'वारबर्ग कपे छात्र आवास सुविधा क्षेत्र में अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं, इसलिए उसने गुड होस्ट के साथ आगे बढऩे का निर्णय लिया है।'
गुड होस्ट के 18,000 छात्र बिस्तर हैं और दो साल में उसने 50,000 अन्य बिस्तर जोडऩे की योजना बनाई है। हालांकि गुड होस्ट ने 2019 से 18 महीने में 75,000 बिस्तरों की योजना बनाई, लेकिन महामारी की वजह से यह लक्ष्य हासिल नहीं हो सका है। सूत्रों का कहना है कि को-वर्किंग, को-लिविंग जैसे क्षेत्र महामारी की वजह से प्रभावित हुए हैं, लेकिन इनमें अच्छी संभावनाएं हैं। वारबर्ग को अपने निवेश कंपनियों में लंबे समय तक बने रहने के लिए जाना जाता है। उदाहरण के लिए, लेमन ट्री में, वह अपने निवेश से 13 वर्षों तक जुड़ी रही, कोटक महिंद्रा बैंक में 7 वर्षों और एयू स्मॉल फाइनैंस बैंक में 6 वर्षों तक निवेश से जुड़ी रही।
देश में सबसे बड़े निवेशकों में शुमार वारबर्ग हाल में एम्बेसी इंडस्ट्रियल पाक्र्स से भी बाहर निकली है, जिसे उसने बेंगलूरु के एम्बेसी समूह के साथ मिलकर बनाया था और 5,250 करोड़ रुपये के उद्यम मूल्यांकन पर ब्लैकस्टोन समूह को बेच दिया।
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