एसऐंडपी ग्लोबल प्लैट्स ने भारत के तेल और गैस मांग में कटौती की है। उसने ऐसा कोविड मामलों की दूसरी लहर के बीच पिछले कुछ हफ्तों से देश के प्रमुख राज्यों में लगे लॉकडाउन के कारण किया है। 2021 के लिए उसने अब तेल की मांग 3,50,000 बैरल प्रति दिन रहने का अनुमान जताया है जो फरवरी में जताए गए 4,85,000 बैरल प्रतिदिन से कम है। इस प्रकार इसमें 28 फीसदी की कमी की गई है। भारत की गैस की मांग को लेकर प्लैट्स ने कहा कि आगामी महीनों में इसमें 25-30 फीसदी की कमी आ सकती है।
एसऐंडपी ग्लोबल प्लैट्स में वैश्विक मांग के प्रमुख और एशिया विश्लेषक कांग वू ने कहा, 'फरवरी के मध्य से अंत तक कोविड के नए मामलों में अचानक से वृद्घि होने के कारण हमने 2021 के लिए भारत की तेल मांग को संशोधित कर उसे 1,35,000 बैरल प्रतिदिन कम कर दिया है। यह अप्रैल के लिए 1,75,000 बैरल प्रति दिन, मई के लिए 7,60,000 बैरल प्रतिदिन, जून के लिए 8,30,000 बैरल प्रति दिन और जुलाई के लिए 3,60,000 बैरल प्रति दिन के हिसाब से समायोजित किया गया है। इससे पहले फरवरी में 4,85,000 बैरल प्रति दिन मांग रहने का अनुमान जताया गया था।'
हालांकि, एक बार लॉकडाउन के हटने के बाद प्लैट्स उम्मीद जताते हैं कि दबी हुई मांग बाहर आएगी जो आर्थिक वृद्घि के लिए उत्प्रेरक का काम करेगा और देश में तेल तथा गैस की मांग में उछाल आएगी। वू ने कहा, 'अप्रैल की मांग महीने दर महीने घटी है और हमें मई में एक और गिरावट की आशंका है लेकिन साल की दूसरी छमाही में सुधार की गुंजाइश नजर आ रही है। साल की दूसरी छमाही में तेल की मांग 6,50,000 बैरल प्रति रह सकती है जो पहली छमाही से अधिक होगी। ऐसा टीकाकरण अभियान में तेजी आने से सड़क आधारित आर्थिक गतिविधि के जोर पकडऩे से होगा।'
भारत के अलावा 2021 के लिए मांग अनुमान को पश्चिमी यूरोप और लैटिन अमेरिका के लिए भी संशोधित कर घटाया गया है। ऐसा कोविड की दूसरी और तीसरी लहर के कारण लगाए गए अधिक प्रतिबंधों के कारण किया गया है। वू ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत 2021 के मध्य में बढ़ सकती है और यह 70 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकती है।
वैश्विक स्तर पर प्लैट्स- 2021 में वैश्विक तेल मांग 55 लाख बैरल प्रति दिन रहने का अनुमान जताया है। वू ने कहा, 'मौसमी गतिविधियों के जोर पकडऩे के साथ साथ मांग में हालिया कमी की स्थिति सामान्य होने से हम मासिक वैश्विक तेल मांग में क्रमिक आधार पर मई से अगस्त के बीच 80 लाख बैरल प्रति दिन की जबरदस्त वृद्घि की उम्मीद कर रहे हैं।'
हालांकि, 2022 के लिए प्लैट्स ने वैश्विक तेल मांग 44 लाख बैरल प्रति दिन रहने का अनुमान जताया है जो 2021 के मुकाबले 20 फीसदी कम है। मांग में वृद्घि का अनुमान केवल अमेरिका, यूरोप और चीन के लिए जताया गया है। मोटे तौर पर कहें तो 2022 में वैश्विक मांग महामारी से पूर्व के स्तर पर पहुंच चुकी होगी केवल जेट ईंधनों की बिक्री में आई कमी तब भी जारी रहेगी।
महंगाई बढऩे का डर
तेल सहित विभिन्न जिंसों की कीमतों में वृद्घि को लेकर विश्लेषकों का कहना है कि इससे महंगाई बढऩे की पूरी उम्मीद है जो कि भारत के लिए नुकसानदायक साबित होगा। निवेशकों को भय है कि विशेष तौर पर अमेरिका में महंगाई में उछाल आने से में केंद्रीय बैंक उम्मीद से पहले ब्याज दरों में इजाफा करने को मजबूर होंगे जिसके कारण भारत सहित उभरते बाजारों से पूंजी की निकासी शुरू हो जाएगी।
जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वूड ने निवेशकों को अपने ताजा साप्ताहिक टिप्पणी में लिखा, 'अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सामान्य होने से दबी हुई मांग जोर पकडऩे लगी है जिसके कारण निवेशकों को 1980 के शुरुआती दौर के बाद से सबसे बड़ी महंगाई चुनौती के लिए तैयार रहना चाहिए।'
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