महंगाई के कारण उतारचढ़ाव रहेगा अस्थायी | सुंदर सेतुरामन / मुंबई May 13, 2021 | | | | |
अमेरिकी महंगाई के दबाव के कारण हो रहा उतारचढ़ाव भारत के इक्विटी बाजारों के लिए अस्थायी यानी अल्पकालिक रह सकता है। विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अल्पावधि में शायद ही अपने रुख मेंं बदलाव करेगा। जिंसों की बढ़ती कीमतोंं के कारण अमेरिका में महंगाई में संभावित बढ़ोतरी पर चिंता ने इस हफ्ते बाजारों पर काफी चोट की है।
निवेशकों को डर है कि अमेरिका में महंगाई बढऩे से केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ाने को बाध्य होंगे और इसके कारण भारत समेत उभरते बाजारों से पूंजी की निकासी होगी। अप्रैल में अमेरिकी उपभोक्ता कीमतों ने अनुमान को पीछे छोड़ते हुए 2009 के बाद सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की है, जिससे इस पर बहस छिड़ गई है कि क्या फेडरल रिजर्व उम्मीद से पहले ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा।
बढ़ती महंगाई ने निवेशकों के भरोसे पर भी चोट की है, जिसे अहम अर्थव्यवस्थाओं से प्रोत्साहन से लगातार सहारा मिला है। बुधवार को एसऐंडपी 500 इंडेक्स फरवरी के बाद से सबसे ज्यादा टूटा और बॉन्ड के प्रतिफल में बढ़ोतरी हुई। विश्लेषकों ने हालांकि कहा कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाने में जल्दबाजी नहीं करेगा क्योंंकि अमेरिका में रोजगार के आंकड़ों में सुधार नहींं हुआ है। पिछले हफ्ते अमेरिका ने अप्रैल में 1.66 लाख नई नौकरियां जुडऩे की खबर दी थी, जो विभिन्न एजेंंसियों के अनुमान से काफी कम था।
एवेंडस कैपिटल ऑल्टरनेट स्ट्रैटिजीज के सीईओ एंड्र्यू हॉलैंड ने कहा, मुझे आश्चर्य होगा अगर फेड के चेयरमैन रोजगार के आंकड़ों में सुधार से पहले ब्याज दरें बढ़ाने पर बात करेंगे। अगर महंगाई में बढ़ोतरी गर्मी के महीनों मेंं जारी रहता है तो फिर वित्त मंत्रियों की बैठक होगी। यह देखना होगा कि फेड कब कुछ कहता है। तब तक मुझे नहींं लगता कि फेड बाजारोंं को नुकसान पहुंचाने वाली कोई बात कहेगा।
हॉलैंड ने कहा, हमें मई व जून के आंकड़े देखने होंगे कि क्या महंगाई का दबाव कम हुआ है। हमें यह भी देखना होगा कि क्या यह महंगाई और अस्थिरता भरा होने जा रही है। अगर मई के आंकड़े बेहतर रहते हैं तो यह डर गायब हो जाएगा। कुछ विश्लेषकों ने कहा कि इस समय गिरावट बाजारों के लिए अच्छा होगा क्योंकि पिछले साल मार्च के बाद से उसमें काफी तेजी आई है।
वेलेंंटिस एडवाइजर्स के संस्थापक ज्योतिवर्धन जयपुरिया ने कहा, बाजार फेड का इंतजार नहीं करेगा, बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी होगी और यह भारत समेत दुनिया भर के बाजारों को प्रभावित करेगा। और ये चीजें गिरावट का आधार बनेंगी। बाजार ने काफी तेजी देखी है। साथ ही महंगाई ने उसे गिरावट की वजह दे दी है।
महंगाई की चिंता के अलावा भारत में कोविड-19 की स्थिति भी निवेशकों को चिंता में डाल रही है। गुरुवार को भारत में 2.3 करोड़ मामले थे और पिछले 24 घंटे में 3.62 लाख संक्रमण के नए मामले दर्ज हुए हैं।
विश्लेषकों ने कहा कि अगर मामलों में धीरे-धीरे कमी आती है तो बाजार में दोबारा तेजी देखने को मिलेगी। राज्यों की तरफ से आवाजाही पर पाबंदी लगाए जाने के बावजूद विनिर्माण गतिविधियां अभी तक बंद नहींं हुई हैं जबकि दूसरी लहर के दौरान शुरुआत में कारोबार में व्यवधान देखने को मिला था।
विश्लेषकों ने कहा कि बाजारों में सुधार के लिए अहम होगा टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी। हॉलैंड ने कहा, हमने मामलों में गिरावट देखी है, लेकिन इस समय कोविड के मामलों में ज्यादा गिरावट नहीं आई है। अगर टीकाकरण कार्यक्रम तेज होता है तो बाजारों में ज्यादा खुशी देखने को मिलेगी। अमेरिका व ब्रिटेन की सरकारों ने जो कुछ किया उससे टीकाकरण कार्यक्रम में तेजी आई। इसी वजह से वहां तेजी से अर्थव्यवस्था खुल रही है। टीकाकरण में तेजी जब तक नहीं दिखेगी, विदेशी निवेशक भारत की ओर तेजी से बढ़ते हुए शायद नहीं दिखेंगे।
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