नई तकनीकों के साथ बेहतर सेवाओं की ओर कदम बढ़ाता तेलंगाना | शिवानी शिंदे / May 13, 2021 | | | | |
तेलंगाना राज्य का रंगारेड्डी जिला, देश के कुछ ऐसे गिने चुने जिलों में से एक है जहां किसान कीटों को नियंत्रित करने और अपने कपास की उपज की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) तकनीक का उपयोग करते हैं।
तेलंगाना राज्य के सूचना प्रौद्योगिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार (आईटीईऐंडसी) विभाग तथा मुंबई के तहत आने वाला वाधवानी इंस्टीट्यूट फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जो एक गैर-लाभकारी अनुसंधान संस्थान है यह समाज में बेहतरी के लिए होने वाले नवोन्मेष में एआई तकनीक संबधी समाधानों का उपयोग करता है। इस संस्थान को बनाने में नीति आयोग की भी भागीदारी है। यह तकनीक कपास किसानों को उत्पाद चक्र में कीटों का पता लगाने और उपचारात्मक उपायों को अपनाने की जानकारी देती है। यह ऐप दो काफी विनाशकारी कीट, अमेरिकी वॉलवर्म, एवं पिंग वॉलवर्म का पता लगाने में मदद करता है। तेलंगाना राज्य के आईटीईऐंडसी विभाग के प्रमुख सचिव जयेश रंजन कहते हैं, 'उपयोगकर्ता इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि एआई समर्थित ऐप्लिकेशन कीट क्षति को कम करने में मदद करेगा। प्रारंभिक रिपोर्टों से यह भी पता चलता है कि किसान अपनी उपज की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।'
शुरुआती सफलता से उत्साहित, राज्य सरकार छह और जिलों में इस समाधान का विस्तार कर रही है, जिसमें 5,000 से अधिक किसानों को इसका लाभ मिलेगा। तेलंगाना सरकार का इरादा राज्य को उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ ही वैश्विक एआई हब के रूप में अग्रणी राज्य बनाने का है। राज्य ने नागरिकों के लिए बेहतर सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए नवीन प्रौद्योगिकियों, जैसे एआई, ब्लॉकचेन, मशीन लर्निंग, ड्रोन, साइबर सुरक्षा, ई-वेस्ट, 3 डी प्रिंटिंग और उपग्रह प्रौद्योगिकी आदि का भी उपयोग किया है। अपने अनुप्रयोगों में सफल होने के लिए, एआई तकनीक को विशाल डेटाबेस की आवश्यकता होती है। रंजन बताते हैं कि इसके लिए तेलंगाना ने बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह अभ्यास (सभी विभागों को डिजिटल बनाने के प्रयास के साथ) शुरू किया है, जिसमें प्राथमिकता के मामलों पर अधिक ध्यान दिया जाएगा।
पेंशनरों के लिए ऐप
बेहतर सेवाओं उपलब्ध कराने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग का एक उदाहरण पेंशन क्षेत्र में है। महबूबनगर निवासी एवं एक सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक स्वाति रेड्डी (बदला हुआ नाम) का ही उदाहरण लें। साल 2019 तक, उन्हें पेंशन लेने के लिए सालाना आधार पर 'जीवन प्रमाण पत्र' बनाने के लिए स्थानीय डाकघर या बैंक में जाने की आवश्यकता थी। हालांकि, पिछले साल, उन्होंने अपने घर से बाहर जाए बिना प्रमाणपत्र बनाने के लिए एक मोबाइल ऐप का उपयोग करना शुरू कर दिया। पेंशनरों को केवल अपने स्मार्टफोन पर एक माइक्रो-ऐप का उपयोग करके एक सेल्फी लेने की जरूरत है। इसके बाद, अपना नाम एवं पेंशन पहचान प्रदान करें और उन्हें वास्तविक समय में जीवन प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा। ऐसा भारत में पहली बार है कि कोई सरकार पेंशनरों की सुविधा के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग कर रही है।
पेंशनर लाइफ सर्टिफिकेट नामक ऐप मार्च 2019 में लॉन्च किया गया था और कुल 3,00,000 में से 80,000 से अधिक पेंशनरों का सत्यापन किया जा चुका है। कोविड-19 के प्रकोप ने बैंकों और डाकघरों पर लोगों का जाना बहुत अधिक कठिन हो गया था और इसके बाद लोगों ने ऐप को अपनाना शुरू किया।
ऐप तीन प्रमुख कारकों के प्रमाणीकरण के साथ काम करता है। पहला, जनसांख्यिकी जांच दूसरा फोटो और तीसरा 'लाइवनेस' (व्यक्ति के जीवित होने की जांच)। इसके लिए राज्य ने एआई, मशीन लर्निंग (एमएल), और गहन शिक्षण का लाभ उठाया है।
उपयोगकर्ताओं को ऐप में अपने पेंशन राशि का पहचान पत्र, नाम और मतदाता पहचान संबंधी विवरण दर्ज करने के साथ ही तस्वीर अपलोड करनी होगी। व्यक्ति के जीवित होने का पता लगाने के लिए ऐप एआई एल्गोरिद्म का उपयोग करता है जो फोटोग्राफ की गहराई, चमक और बनावट आदि कई कारकों की जांच करके यह पुष्टि करता है कि अपलोड की गई छवि जीवित व्यक्ति की है या नहीं।
यह निर्धारित करने के लिए कि अपलोड की गई तस्वीर पेंशन का दावा करने वाले व्यक्ति की है, ऐप पेंशनर डेटाबेस से व्यक्ति के विवरण को निकालकर बिग डेटा एवं एंटिटी रिजॉल्यूशन-आधारित जनसांख्यिकीय मिलान का उपयोग करता है।
अंत में, डीप लर्निंग का उपयोग डेटाबेस में पहले से मौजूद फोटो के साथ इनपुट फोटो की तुलना करने के लिए किया जाता है, क्योंकि पेंशनभोगी की आयु में बढ़ोतरी होने से फोटो में अंतर देखा जा सकता है।
रंजन कहते हैं, 'हमारा अगला प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि संबंधित व्यक्तियों का डेटा दर्ज करने की प्रक्रिया एक बार का प्रयास हो। अगले साल से पेंशनरों को केवल जीवितता संबधी परीक्षण के लिए ऐप का उपयोग करना होगा।'
तेलंगाना राज्य द्वारा नवीन प्रौद्योगिकियों का सबसे नवीन उपयोग कोविड-19 के प्रबंधन में किया जा रहा है। साल 2020 में जब इसका प्रकोप शुरू हुआ, तो आईटीईऐंडसी विभाग ने सार्वजनिक डेटा-सेट के साथ-साथ सरकारी डेटा-सेट का उपयोग करके एक डैशबोर्ड बनाया। इसने सरकारी विभागों को चिकित्सा क्षमताओं को बढ़ाने और महामारी के शुरुआती चरणों के दौरान निर्दिष्ट उद्योगों को खोलने पर समयबद्ध निर्णय लेने में सक्षम बनाया।
रंजन कहते हैं, 'इस बार कोरोना संक्रमण के मामले काफी ज्यादा हैं लेकिन हम अभी भी केंद्रीय चिकित्सा स्टोर से विभिन्न अस्पतालों में दवाइयों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए पिछले साल की प्रणाली का उपयोग करने में सक्षम हैं। हम बुनियादी ढांचे एवं स्थिति का रियल टाइम विश्लेषण करने के लिए इस प्रणाली को लगातार अद्यतन कर रहे हैं।'
आगे की राह
रंजन कहते हैं कि आईटीईऐंडसी विभाग की मुख्य भूमिका प्रत्येक विभाग के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों की उपयोगिता की पहचान करना, प्रायोगिक परियोजनाएं तैयार करना और उनकी सफलता पर संबंधित विभाग द्वारा उसपर आगे काम किया जाना सुनिश्चित करना है। विभाग ने नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग में प्रायोगिक परियोजनाओं के संचालन के लिए अपने बजट का 10-15 प्रतिशत रखा है।
इसके लिए राज्य सरकार ने स्टार्टअप इकोसिस्टम का लाभ उठाया है, जिसमें नैसकॉम एवं इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन के साथ ही नीति आयोग जैसे उद्योग निकायों के साथ भागीदारी की है। रंजन कहते हैं, 'सभी सरकारों के अपने हितधारक हैं। हितधारकों के लिए हमारी पहुंच ज्यादा कुशल होनी चाहिए। प्रौद्योगिकी एक ऐसा उपकरण है जिसका उपयोग इस दक्षता को बनाने के लिए किया जा सकता है।'
विभिन्न हितधारकों तक पहुंच
नए जन्मे शिशुओं में कुपोषण और चुनावों में दूरस्थ मतदान, इन दोनों एक समान बात क्या है? खैर, स्पष्ट रूप से कुछ भी नहीं, सिवाय इसके कि तेलंगाना में नवीन तकनीकों का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि पहले पर विजय प्राप्त की जाए और दूसरे को संभव बनाया जाए।
नए जन्मे शिशुओं की जांच
वाधवानी इंस्टीट्यूट फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ, राज्य ने एक मोबाइल फोन-आधारित ऐप विकसित किया है, जो मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं जैसे फ्रंटलाइन श्रमिकों को कम वजन के साथ जन्म लेने वाले शिशुओं की जांच की अनुमति देता है। हैदराबाद के निलोफर अस्पताल में शुरुआती प्रायोगिक परियोजना के बाद, इसे 25,000 से अधिक फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए शुरू किया जाएगा।
दूरस्थ मतदान को सक्षम करना
तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार विभाग ने ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित एक ऐप बनाया है जो राज्य के नागरिकों को मतदान के लिए पंजीकरण करने और प्रमाणित होने के बाद दूर-दराज से वोट करने की अनुमति देता है। मतदाता को प्रमाणित करने के लिए, ऐप आधार या मतदाता पहचान पत्र का उपयोग करेगा और चेहरे की पहचान वाली नई तकनीकों का उपयोग करेगा। मतदाताओं को अपना उपकरण पंजीकृत करके चुनाव के दिन अपना वोट डालने के लिए इसका इस्तेमाल करना होगा। राज्य अगले स्थानीय चुनावों के दौरान इसका उपयोग करने की योजना बना रहा है। राज्य पहले ही राज्य चुनाव आयोग को ऐप दिखा चुका है, और इसे आयोग से हरी झंडी मिल गई है।
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