सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) ने अपने उद्योग संगठन साधन के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक में अतिरिक्त समर्थन के लिए याचिका दी है, जिससे कि महामारी की दूसरी लहर के जोखिम को कम किया जा सके। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को लिखे पत्र में साधन ने कहा है कि आल इंडिया फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशन (एआईएफआई) जैसे राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की ओर से कम से कम 15,000 करोड़ रुपये विशेष नकदी की सुविधा का इंतजाम करना चाहिए, जिसमें से कम से कम 40 प्रतिशत फंड 500 करोड़ रुपये संपत्ति के आकार वाले एमएफआई को दिया जाना चाहिए। महामारी की दूसरी लहर के कारण स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन लगाए गए हैं, इससे उधारी लेने वालों पर बुरा असर पड़ सकता है। साधन के कार्यकारी निदेशक पी सतीश ने कहा, 'लॉकडाउन बढऩे और ग्राहकों की आमदनी पर असर होने से एमएफआई का पुनर्भुगतान प्रभावित हो रहा है और इसकी वजह से नकदी कम आ रही है। ऐसे में अगर उन्हें बैंकों से पर्याप्त धन और संपत्ति के वर्गीकरण का समर्थन नहीं मिलता है, तो उनकी सततता पर असर पड़ सकता है।' विशेष नकदी की सुविधा के अलावा उन्होंने एमएफआई के लिए उनके कुल बकाये के 35 प्रतिशत के बराबर इमरजेंसी क्रेडिट लाइन की मांग की है। इससे एमएफआई को करीब 15,000 करोज रुपये की मदद मिलेगी। कतीसरा, उन्होंने केंद्रीय बैंक से कहा है कि बैंकों से आने वाले धन के प्रवाह की निगरानी की जानी चाहिए, जिससे इस क्षेत्र को समय से धन मिल सके। पत्र में कहा गया है, 'अगर इस क्षेत्र को 25,000 करोड़ रुपये का समर्थन मिलता है तो इससे एमएफआई को तत्काल मदद मिलेगी और वे नकदी और वित्तपोषण की चुनौतियों से निपटने में सफल हो सकेंगे।' साथ ही उन्होंने रिजर्व बैंक से आंशिक ऋण गारंटी योजना 3.0 पेश करने का अनुरोध किया है, जिससे अनिश्चितता के दौर में बैंकों को बहुप्रतीक्षित मदद मिल सकेगी और वे एमएफआई सेक्टर, खासकर छोटे व मझोले एमएफआई को उधारी दे सकेंगे, जिनकी रेटिंग कम है।
