गिलियड की रेमडेसिविर के बाद अमेरिका की एक अन्य दिग्गज दवा कंपनी इलाई लिली ने भारत में बैरीसाइटिनिब दवा बनाने और वितरित करने के लिए तीन भारतीय दवा कंपनियों- सिप्ला, सन फार्मास्यूटिकल्स और ल्यूपिन को रॉयल्टी मुक्त, गैर-विशेष स्वैच्छिक लाइसेंस दिया है। इस दवा का इस्तेमाल कोविड-19 मरीजों के इलाज में होता है। आम तौर पर एक मरीज को इलाज के पूरे कोर्स के रूप में बैरीसाइटिनिब की 14 टैबलेट की जरूरत होती है। इलाई लिली ने एक बयान में कहा, 'इन स्वैच्छिक लाइसेंस समझौतों से इस महामारी के दौरान बैरीसाइटिनिब का अच्छी गुणवत्ता का विनिर्माण और उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इससे स्थानीय स्तर पर उपलब्ध उपचार विकल्पों में सुधार होगा। इसका भारत में इस समय कोविड-19 से जूझ लोगों के जीवन पर सकारात्मक असर होगा।' कंपनी ने कहा कि इस दवा के स्वैच्छिक लाइसेंस देने के लिए अन्य कई भारतीय कंपनियों के साथ भी बातचीत चल रही है। इस समय चिकित्साकर्मी कोविड-19 के इलाज में इस दवा के इस्तेमाल को उपयोगी पा रहे हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में एली लिली के प्रबंध निदेशक लुसा विसिनी ने कहा कि कंपनी ने इस समय विकराल रूप लेती कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए भारत की दवा कंपनियों को बैरीसाइटिनिब के लाइसेंस जारी किए हैं ताकि स्थानीय स्तर पर विनिर्माण और वितरण बढ़ाया जा सके। विसिनी ने कहा, 'अन्य भारतीय जेनेेरिक दवा कंपनियों को जल्द ही और लाइसेंस देने की उम्मीद है।' ओलूमिएंट या बैरीसाइटिनिब खाई जाने वाली दवा है, जिसकी खोज इनसाइट ने की थी और एली लिली को लाइसेंस दिया था। दिसंबर, 2009 में लिली और इनसाइट ने इनफ्लेमेट्री और ऑटोइम्यून बीमारियों के मरीजों के लिए बैरीसाइटिनिब और कुछ अन्य संबंधित दवाओं के विकास एवं व्यवसायीकरण के लिए विशेष वैश्विक लाइसेंस एवं सहयोग समझौता किया था। लिली को 3 मई को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रभाग केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से बैरीसाइटिनिब के सीमित आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली, जिसे अस्पतालों में भर्ती संदिग्ध या जांच में पुष्ट कोविड -19 मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर के साथ इस्तेमाल किया जाएगा। ये वे मरीज होंगे, जिन्हें ऑक्सीजन, वेंटिलेटर की जरूरत है। लिली पहले ही भारत सरकार को बैरीसाइटिनिब की चार लाख टैबलेट दान दे चुकी है। विसिनी ने कहा, 'हम भारत में मरीजों और स्वास्थ्य प्रणाली को मदद देने के लिए अन्य संभावित कदमों की तलाश जारी रखेंगे।' लिली अपने कोविड-19 से बचाव से इलाज दान में देने के लिए लगातार नियामकीय प्राधिकरणों और भारत सरकार के साथ बातचीत कर रही है। इनमें लिली की न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज उपचार भी शामिल है। दूसरी तरफ हैदरबाद की नैटको फार्मा ने भारत में यह दवा बनाने और वितरित करने के लिए भारतीय पेटेंट कार्यालय में में अनिवार्य लाइसेंस (सीएल) आवेदन दायर किया है।
