वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 टीके और इससे संबंधित दवाओं व मेडिकल उपकरणों पर वस्तु एवं सेवा कर खत्म किए जाने की संभावना से इनकार किया है। उनका तर्क है कि अगर जीएसटी हटाया गया तो इससे अंतिम उपभोक्ता के लिए कीमतों में बढ़ोतरी होगी और यह नुकसानदेह होगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि प्रमुख दवाओं और टीके पर जीएसटी व अन्य शुल्कों से छूट मिलनी चाहिए, जिससे आपूर्ति संबंधी व्यवधान खत्म हो सके और महामारी के इस दौर में बेहतर प्रबंधन हो सके। बनर्जी के पत्र के जवाब में सीतारमण ने यह प्रतिक्रिया दी है। सीतारमण ने कहा कि टीकों पर जीएसटी में छूट और दवाओं पर 12 प्रतिशत जीएसटी खत्म किए जाने से विनिर्माता उत्पादन में प्रयोग किए गए कच्चे/मध्यवर्ती माल व सामग्री पर चुकाए गए कर के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा नहीं कर सकेंगे। ऐसी स्थिति में विनिर्माता यह बोझ अंतिम उपभोक्ता या नागरिकोंं पर डालेंगे और इससे कीमतों में तेजी आएगी। महामारी की दूसरी लहर को देखते हुए कोविड-19 के टीके और संबंधित दवाओं पर कर छूट की मांग हो रही है। पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और पंजाब सहित कुछ राज्यों ने कर छूट पर जोर दिया है। दरअसल भारत सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने भी कोविड-19 से जुड़ी घरेलू व आयातित सामग्री से जीएसटी व आयात कर निरस्त करने पर जोर दिया था। सीतारमण ने इन सामानों पर जीएसटी से छूट दिए जाने की मांग को लेकर ट्वीट में जवाब देते हुये कहा, 'यदि टीके पर पूरे 5 प्रतिशत की छूट दे दी जाती है तो घरेलू उत्पादकों को कच्चे माल पर दिए गए कर की कटौती का लाभ नहीं मिलेगा और वह पूरी लागत को ग्राहकों, नागरिकों से वसूलेंगे।' उन्होंने कहा कि 5 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगने से विनिर्माताओं को इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का लाभ मिलता है और यदि आईटीसी अधिक होता है तो वह रिफंड का दावा कर सकते हैं। इसलिए टीका विनिर्माताओं को जीएसटी से छूट दिए जाने का उपभोक्ताओं को नुकसान होगा। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि बड़ी संख्या में संगठन, व्यक्तिगत लोग और संबंधित एजेंसियां ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स, सिलिंडर्स, कंटेनर्स और कोविड से संबंधित दवाएं दान करने के लिए आगे आए हैं और वे राज्य सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि इन पर सीमा शुल्क, राज्य वस्तु एवं सेवा कर (एसजीएसटी), केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) और एकीकृत वस्तु एवं सेवाकर (आईजीएसटी) से छूट मिलनी चाहिए। सीतारमण ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि केंद्र सरकार ने पहले ही 3 मई से आयातों पर आईजीएसटी से छूट को मंजूरी दे दी है। कई ट्वीट की शृंखला में उन्होंने कहा, 'पहले ही इन सामग्रियों पर सीमा शुल्क व स्वास्थ्य उपकर से छूट दे दी गई थी।' उन्होंने कहा कि आईजीएसटी, सहित सीमा शुल्क में पूरी तरह से छूट पहले से ही कोविड से संबंधी राहत सामग्रियों पर मिल रही है, जो रेडक्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति के माध्यम से देश में वितरण के लिए आ रही है। मंत्री ने ट्वीट में कहा है, '3 मई, 2021 से एंटी वायरस औषधियों रेमडेसिविर इंजेक्शन, रेमडेसिविर एपीआई, और इस दवा को बनाने के लिए इस्तेमाल में आने वाले केमिकल पर छूट दी जा रही है।' उन्होंने कहा, 'साथ ही मेडिकल ऑक्सीजन, विनिर्माण में काम आने वाले उपकरणों, ऑक्सीजन के परिवहन व भंडारण, कोविड के मरीजों को ऑक्सीजन थेरेपी में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों जैसे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स, वेंटिलेटर्स, नॉन इनवेसिव ऑक्सीजन मास्क आदि पर छूट दी गई है।' केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड-19 टीके 45 साल और उससे ज्यादा उम्र के लोगों को मुफ्त दिए जा रहे हैं। सीतारमण ने ट्वीट में कहा, 'सरकार की आपूर्ति में सरकार की ओर से जीएसटी का भुगतान किया जा रहा है। टीके पर एकत्र किए गए जीएसटी में आधी कमाई केंद्र सरकार की और आधी राज्यों की हो रही है। इसके अलावा केंद्र को मिलने वाले कर में भी 41 प्रतिशत राज्यों को दिया जाता है। ऐसे में राज्य टीके पर लगने वाले कुल कर का 70 प्रतिशत पाते हैं।'
