देश भर में ऑक्सीजन की कमी के कारण बढ़ती मौतों के बीच बड़े कारोबारी घराने अब मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार के साथ उत्पादन, आपूर्ति और भंडारण के तीन मोर्चों पर सहयोग कर रहे हैं। टाटा, लार्सन ऐंड टुब्रो और भारत फोर्ज ने आज अस्पतालों में प्रेसर स्विंग एडसॉप्र्शन (पीएसए) भंडारण क्षमता विकसित करने में रुचि दिखाई जबकि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने परिवहन के लिए ऑक्सीजन और क्रायोजेनिक टैंकर मुहैया कराने की बात कही है। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान भारत दुबई, बैंकाक, शांघाई और डसेलडर्फ से ऑक्सीजन टैंकर आयात भी कर सकेगा। इसके लिए कुछ कंपनियों से अनुबंध किया जा रहा है। टाटा के माध्यम से सिंगापुर से 4 टैंकर भारतीय वायु सेना के एक विमान के जरिये आ भी चुके हैं। इंडियन ऑयल भी नाशिक में 100 क्रायोजेनिक टैंकरों का निर्माण करेगा लेकिन इनकी उपलब्धता तीन सप्ताह बाद ही शुरू हो पाएगी। हालांकि ऑक्सीजन आयात करने की कोशिश में अब तक खाड़ी के एक संगठन से 500 टन को मिलाकर कुल 3,000 टन उपलब्धता की प्रतिबद्धता हासिल हो सकी है जबकि 16 अप्रैल को 50,000 टन आयात की निविदा जारी की गई थी। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के मुताबिक चिंता की बात यह है कि ये आयात तत्काल नहीं होगा और इसकी कीमत काफी अधिक होगी। कुछ वैश्विक आपूर्तिकर्ता कमी का फायदा उठा रहे हैं। सरकार की कोशिश है कि विभिन्न शहरों को उनके सबसे करीबी स्रोत से ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जा सके। अधिकारी ने कहा कि राज्यों से भी अपेक्षा है कि टैंकरों के लिए गठजोड़ करेंगे और उनके अबाध आवागमन के लिए ग्रीन कॉरिडोर तैयार करेंगे। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने खराब योजना बनाने और उसके कारण लोगों की मौत के लिए दिल्ली सरकार को उत्तरदायी ठहराया। उन्होंने यह भी कहा कि शनिवार को दिल्ली के 45 अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन आवंटित की गई थी जबकि इसे केवल 17 अस्पतालों में भेजा गया। पीएसए की स्थापना के आदेश को शुक्रवार तक अंतिम रूप दिया जाएगा क्योंकि कुछ सामग्री की अनुपलब्धता के कारण लागत एक बड़ी चुनौती है। टाटा, एलऐंडटी और भारत फोर्ज के अलावा करीब 20-30 एमएसएमई से भी इन इकाइयों की स्थापना करने को कहा जा सकता है ताकि ऑक्सीजन के परिवहन के काम और टैंकरों की जरूरत से निजात मिल सके। सरकार की ओर से जारी एक वक्तव्य के मुताबिक पीएम-केयर्स फंड ने सरकारी अस्पतालों में 551 पीएसए की स्थापना के लिए फंड जारी करने की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। ये संयंत्र विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जिला मुख्यालयों में चिह्नित सरकारी अस्पतालों में स्थापित किए जाएंगे। इनके लिए जरूरी खरीद केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय करेगा। केंद्र सरकार ने अक्टूबर में भी 150 जिला अस्पतालों में पीएसए की स्थापना की निविदा जारी की थी लेकिन समाचार वेबसाइट स्क्रॉल के मुताबिक इनमें से अधिकांश स्थापित नहीं की गईं। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 18 अप्रैल को किए गए ट्वीट के मुताबिक केंद्र ने 162 पीएसए संयंत्र मंजूर किए थे। हालांकि एक अधिकारी ने स्वीकार किया कि मंत्रालय ने निविदा को अंतिम रूप देने में देरी की। उन्होंने माना कि न तो सरकार और न ही चिकित्सा जगत ने कोविड-19 मामलों में ऐसी बढ़ोतरी की कल्पना की थी। पीएसए संयंत्र वातावरण से ऑक्सीजन निकालकर पाइप से मरीज तक पहुंचाते हैं। ऐसी ऑक्सीजन का 99.5 फीसदी शुद्ध होना जरूरी है। इंडियन ऑयल तो क्रायोजेनिक टैंकर बना ही रहा है, इसके अलावा रिलांयस इंडस्ट्रीज ने भी 54 तथा अदाणी समूह ने 15 टैंकरों की फंडिंंग करने की बात कही है। अधिकारी ने कहा कि इन टैंकरों का स्वामित्व इन कंपनियों के पास ही रहेगा और ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता इन्हें लीज पर ले सकेंगे। ये टैंकर इंडियन ऑयल या रिलायंस द्वारा बनाई गई ऑक्सीजन भी ढोएंगे।
