वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 11 महीनों में दौरान कीमतें कम होने की वजह से ज्यादा आयात के बावजूद पेट्रोलियम उत्पादों पर 30,000 करोड़ रुपये से ऊपर बचाए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक देश में अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के बीच के दौरान 1,50,176.31 करोड़ रुपये के तैयार पेट्रोलियम उत्पादों का आयात हुआ है। वहीं पिछले साल की समान अवधि में तैयार पेट्रोलियम उत्पाद का आयात 1,81,681.69 करोड़ रुपये का रहा है। उम्मीद है कि यह बचत मार्च 2021 के आंकड़े जारी होने के बाद और बढ़ेगी। भारत में कच्चे तेल के शोधन और प्राकृतिक गैस के प्रसंस्करण की भरपूर क्षमता है, वहीं तैयार उत्पादों का भी नियमित रूप से आयात होता है। इनमें तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी), तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) पेटकोक और ईंधन तेल शामिल है। एलपीजी का इस्तेमाल रसोई गैस के रूप में होता है, वहीं अन्य का इस्तेमाल कई उद्योगों में ताप की जरूरतें पूरी करने, बिजली उत्पादन और जहाजों को चलाने में होता है। इस तरह के तैयार उत्पादों के प्रसंस्करण की न्यूनतम जरूरत होती है और ये इस्तेमाल करने के उद्योगों के काम आते हैं। वित्त वर्ष 20 में भारत में 624.8 लाख टन पेट्रोलियम उत्पादों और वित्त वर्ष 21 में 628.8 लाख टन पेट्रोलियम उत्पादों का आयात किया गया। इनमें से दोनों वर्षों में एलएनजी का आयात करीब 230 लाख टन रहा। 2020-21 में कोविड से प्रभावित भारत की अर्थव्यवस्था में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में 9 प्रतिशत की कमी आई। लेकिन एलपीजी की मांग में 5 प्रतिशत वृद्धि हुई और एलएनजी की मांग पूर्ववत बनी रही। डेलॉयट में एनर्जी, रिसोर्स और इंडस्ट्रियल्स के लीडर देवाशीष मिश्र ने कहा, 'पिछले कुछ साल से इन दोनों उत्पादों के आयात की हिस्सेदारी बढ़ रही है।' भारत में एलएनजी आयात का मूल्य अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 के बीच 57,661 करोड़ रुपये के करीब रहा है। 2019-20 की समान अवधि के दौरान यह 65,264 करोड़ रुपये रहा है। बहरहाल एलएनजी आयात स्थिर रहने के बावजूद आयात का मूल्य कम रहा है। इसका मतलब यह है कि बिजली उत्पादन में लगे उद्योगों और उर्वरक विनिर्माताओं को 2020-21 में सस्ता ईंधन मिला है। इक्रा में कॉर्पोरेट रेटिंग के वाइस प्रेसीडेंट प्रशांत वशिष्ट ने कहा, 'वित्त वर्ष 21 के 11 महीनों के दौरान पिछले साल की समान अवधि की तुलना में एलपीजी आयात मात्रा के हिसाब से 11.6 प्रतिशत बढ़ा है। इसकी वजह मुफ्त सिलिंडर दिया जाना और प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) के तहत इसकी पहुंच बढऩा है। बहरहाल कच्च्चे तेल के औसत दाम कम रहने के कारण एलपीजी का आयात मूल्य स्थिर बना रहा।' वशिष्ट ने कहा, 'ज्यादा खपत की एक वजह घर में खाने को तरजीह देना है, लेकिन ज्यादा असर मुफ्त सिलिंडर व पीएमयूवाई का है।'
