कोविड-19 संक्रमण के मामले बढऩे की वजह से भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को पूरा करने में जापान मददगार साबित हो सकता है। घरेलू निर्माताओं से ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने के अलावा केंद्र सरकार ने तरल मेडिकल ऑक्सीजन खरीदने के लिए भारतीय दूतावासों को काम पर लगाया है। विदेश मंत्रालय को ऑक्सीजन की तत्काल आपूर्ति के लिए गठजोड़ करने के लिए कहा गया है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पहला करार जापान की एक कंपनी के साथ होगा जो भारत को 10 टैंकर देगी। इस बातचीत से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि इससे मोटे तौर पर भारत में 19 टैंकर हो जाएंगे। तिरुवनंतपुरम के एचएलएल लाइफकेयर ने राज्यों और केंद्र सरकार के अस्पतालों के लिए 20 टन आईएसओ कंटेनरों में कम से कम 99.5 फीसदी शुद्धता के साथ मेडिकल ऑक्सीजन खरीदने के लिए वैश्विक निविदा जारी की है। इस निविदा की आखिरी तारीख 28 अप्रैल है। पिछले हफ्ते निविदा निकाली गई थी और इसके बाद भारतीय दूतावासों ने उन देशों की कंपनियों को पत्र दिए जहां वे काम कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को 50,000 टन मेडिकल ऑक्सीजन आयात करने की घोषणा की थी। सशक्त समूह 2 (ईजी 2) की एक बैठक में महामारी के दौरान जरूरी चिकित्सा उपकरणों और ऑक्सीजन की उपलब्धता की समीक्षा की गई थी। इसमें यह फैसला किया गया था कि 12 ज्यादा दबाव वाले राज्यों के लिए ऑक्सीजन के स्रोत का अंदाजा लगाने का फैसला किया गया। मेडिकल ऑक्सीजन कोविड प्रभावित मरीजों के इलाज में एक अहम हिस्सा है। विशेष रूप से 12 राज्यों से मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बढ़ रही है जहां कोविड के ज्यादा मामले हैं। इनमें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य शामिल हैं। हालांकि महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की मांग राज्य की उपलब्ध उत्पादन क्षमता से अधिक होने की उम्मीद है। लेकिन मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग पूरा करने के लिए कोई उत्पादन क्षमता नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि इसके अलावा गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान जैसे अन्य ऑक्सीजन उत्पादक राज्यों में मांग बढऩे का रुझान है। संक्रमण के मामलों में वृद्धि के कारण अगले कुछ हफ्तों में ऑक्सीजन आपूर्ति का स्पष्ट जायजा संयुक्त रूप से उद्योग एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी), स्वास्थ्य एवं इस्पात मंत्रालयों, गंभीर रूप से प्रभावित राज्यों और पेट्रोलियम ऐंड एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (पीईएसओ) के साथ अखिल भारतीय औद्योगिक गैस निर्माता संघ (एआईआईजीएमए) के प्रतिनिधियों के साथ लिया गया था। मेडिकल ऑक्सीजन के स्रोत और उनकी उत्पादन क्षमता का राज्यों की आवश्यकताओं से मिलान करने के लिए जायजा लिया गया था और मेडिकल ऑक्सीजन के स्रोतों के लिए उनका मार्गदर्शन करने के लिए एक सांकेतिक ढांचा तैयार किया गया है। उसके ही मुताबिक 20 अप्रैल, 25 अप्रैल और 30 अप्रैल को 12 राज्यों की उनकी अनुमानित मांग को पूरा करने के लिए क्रमश: 4,880 टन, 5,619 टन और 6,593 टन दिया गया। इसके अलावा यह भी योजना है कि ऑक्सीजन तैयार करने और अस्पतालों को मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत के लिए आत्मनिर्भर बनाते हुए मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए राष्ट्रीय ग्रिड पर बोझ कम करने में मदद देने के लिए प्रेशर स्विंग एब्जॉर्पशन (पीएसए) संयंत्र बनाया जाना है। सरकार के बयान के अनुसार पीएम-केयर्स के तहत 162 पीएसए संयंत्र बनाने की मंजूरी दी गई है। देश भर में महामारी से पहले सामान्य दिनों में सामान्य तरल मेडिकल ऑक्सीजन की 700 टन प्रतिदिन की मांग थी। अब अकेले रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ही इतना उत्पादन कर रहा है। कंपनी ने अपने जामनगर तेल रिफाइनरियों में बदलाव कर एक दिन में 700 टन से अधिक का निर्माण किया है। इसने शुरुआत में 100 टन मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन का उत्पादन किया था जिसे बढ़ा दिया गया था। कंपनी गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में इसकी आपूर्ति कर रही है। इसकी जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा कि इसकी योजना मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 1,000 टन करने की है। ऑक्सीजन को विशेष टैंकरों में शून्य 183 डिग्री सेल्सियस पर ले जाने की आवश्यकता होती है। टाटा समूह ने ऑक्सीजन लाने के लिए ऐसे 24 क्रायोजेनिक टैंकरों का आयात करने का फैसला किया है।
