देश के कुछ शीर्ष रेस्तरां संघों ने ब्याज भुगतान के लिए सहायता योजना, कार्यशील पूंजी समर्थन, जमानत मुक्त ऋणों और वैधानिक शुल्कों के भुगतान से माफी देने की मांग की है। उनका कहना है कि कोविड-19 महामारी के कारण यह क्षेत्र अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। नैशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई), होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया (एचआरएडब्ल्यूआई) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) ने मिलकर कहा है कि खाने पीने की दुकानें 2020 में महामारी के शुरू होने के बाद से सबसे बुरी तरह से प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। एफएचआरएआई के उपाध्यक्ष गुरबख्शीष सिंह कोहली ने कहा, 'गत वर्ष लगाए गए पहले लॉकडाउन के बाद करीब 30 से 35 फीसदी रेस्तरां स्थायी तौर पर बंद हो गए हैं। इस साल इन स्थानीय लॉकडाउन के कारण और 30 फीसदी दुकानें बंद हो जाएंगी। हमने राज्य सरकारों से मदद करने के लिए कहा है। जैसे महाराष्ट्र सरकार से हमने कहा कि वह इस उद्योग में लगे कर्मचारियों को हुई आमदनी के नुकसान की भरपाई करे और वैधानिक शुल्कों को माफ कर रेस्तरां मालिकों की मदद करे।' एनआरएआई के अध्यक्ष अनुराग कट्रियार कहते हैं कि उद्योग के लिए नकदी समर्थन अत्यंत जरूरी हो गया है। वह कहते हैं, 'बड़ी मुश्किल से कुछ जगहों पर कारोबार चल पा रहा है, ऐसे में चुनौती उसे चालू रखने की है। लिहाजा हमें सरकार से नकदी समर्थन की जरूरत है।' कोविड-19 महामारी के कारण मार्च, 2020 के बाद से 4.25 लाख करोड़ रुपये के घरेलू रेस्तरां उद्योग को लॉकडाउन, बाधाओं और कारोबारी घंटों पर प्रतिबंधों से जूझना पड़ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मार्च और अगस्त, 2020 के बीच ऋण भुगतान पर स्थगन की घोषणा की थी और बैंकों को दबावग्रस्त क्षेत्रों के लिए एकबारगी ऋण पुनर्गठन करने की अनुमति दी थी लेकिन रेस्तरां संघों का कहना है कि इतना उपाय पर्याप्त नहीं है। एचआरएडब्ल्यूआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रदीप शेट्टी ने कहा, 'रिजर्व बैंक और अन्य मंत्रालयों की ओर से घोषित राहत पैकेज अपर्याप्त रही है। रेस्तरां के लिए कोई क्षेत्र विशिष्ट राहत भी नहीं दी गई।'
