पिछले सप्ताह दो प्रौद्योगिकी दिग्गजों - फेसबुक और लिंक्डइन में भारी डेटा सेंधमारी देखी गई। जहां एक ओर दोनों ने यह बात स्वीकार की कि ग्राहकों का डेटा लीक हो गया था, वहीं दूसरी ओर दोनों ने कहा कि यह उनके सिस्टमों से हैक नहीं किया गया था, बल्कि स्क्रैप किया गया था। पिछले 3 अप्रैल को बिजनेस इनसाइडर की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 53.3 करोड़ उपयोगकर्ताओं का फेसबुक डेटा ऑनलाइन लीक हो गया था। इसमें भारत के 60 लाख उपयोगकर्ताओं का डेटा भी शामिल है और इसमें उनके फोन नंबर, फेसबुक आईडी, पूरा नाम, स्थान, जन्मतिथि, उनका परिचय और कुछ मामलों में ईमेल एड्रेस भी शामिल हैं। इसके सबसे बड़े बाजारों में भारत का योगदान लगभग 41 करोड़ फेसबुक उपयोगकर्ताओं की है। जवाब में फेसबुक ने कहा कि यह समझना महत्त्वपूर्ण है कि दुर्भावनापूर्ण काम करने वाले लोगों ने यह डेटा हमारे सिस्टमों को हैक करके नहीं, बल्कि सितंबर 2019 से पहले हमारे प्लेटफॉर्म से स्क्रैपिंग करके इसे प्राप्त किया है। डेटा लीक के संबंध में, जिसके बारे में सबसे पहले साइबरन्यूज द्वारा रिपोर्ट दी गई थी, लिंक्डइन के 50 करोड़ डेटा अकाउंटों को ऑनलाइन लीक कर दिया गया था, जिसमें नाम, पता, ईमेल, फोन नंबर, कार्यस्थल की जानकारी आदि शामिल थी। लिंक्डइन ने कहा कि हमने लिंक्डइन डेटा के एक कथित सेट की जांच की है, जिसे बिक्री के लिए पोस्ट किया गया है और यह निर्धारित किया गया है कि यह वास्तव में कई वेबसाइटों और कंपनियों के डेटा का संग्रह है। इसमें सार्वजनिक रूप से देखे जाने योग्य सदस्य प्रोफाइल का वह डेटा शामिल है। क्या है स्क्रैपिंग? बुनियादी ढांचा और वेबसाइट सिक्योरिटी फर्म - क्लाउडफ्लेयर बताती है कि स्क्रैपिंग का क्या मतलब होता है। मूल रूप से यह किसी वेबसाइट से मूल्यवान जानकारी निकालने के लिए किसी एप्लिकेशन का उपयोग करने की प्रक्रिया होती है।
