बॉन्ड प्रतिफल में कमी लाने की तैयारी | अनूप रॉय / मुंबई April 09, 2021 | | | | |
गुरुवार को 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल गिरकर 6.03 प्रतिशत रह गया। जून तिमाही में सेकंडरी बाजार से 1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड की खरीदारी को लेकर आरबीआई की प्रतिबद्घता की वजह से इस प्रतिफल में कमजोरी आई है।
केंद्रीय बैंक ने अपनी मौद्रिक पॉलिसी में जी-सेक एक्वीजिशन प्रोग्राम (जी-सैप) पेश किया और इसे लेकर प्रतिबद्घता जताई है कि वह किस तरह से हरेक तिमाही में बॉन्ड खरीदारी करेगी। बॉन्ड बाजार का मानना है कि आरबीआई पूरे वित्त वर्ष में कम से कम 3.5-4 लाख करोड़ रुपये के जी-सैप कार्यक्रम को चलाएगा। आरबीआई की बैलेंस शीट पर प्रभाव मामूली होगा, क्योंकि खरीदे जाने वाली प्रतिभूतियां सरकारी होंगी और आरबीआई द्वारा कुल खरीदारी पिछले वित्त वर्ष के अनुरूप होगी।
बगैर दर कटौती के ही 10 वर्षीय प्रतिफल 31 मार्च से महज चार कारोबारी सत्रों में 15 आधार अंक से ज्यादा गिर गया।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने मीडिया के साथ बातचीत में यह स्पष्ट किया कि जी-सैप का संचालन नियमित बॉन्ड खरीदारी योजना ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) के साथ साथ चलाई जाएगी। हालांकि ये अलग अलग कार्यक्रम हैं, लेकिन विभिन्न माध्यमों के जरिये लगाई जाने वाली पूंजी की कुल मात्रा वर्ष के लिए तरलता ढांचे की गणना द्वारा निर्धारित जरूरत के दायरे में बनी रहेगी।
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